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छोटे भाई को कर्ज से निकालने में लगे मुकेश अंबानी, 65 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम भी खरीदेगे

अनिल अंबानी आरकॉम के वॉयरलैस एसैट्स को पहले ही अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली जियो इन्फोकॉम को 18,000 करोड़ में बेचा रहे है।

नई दिल्लीAug 12, 2018 / 10:34 am

manish ranjan

ambani

छोटे भाई को कर्ज से निकालने में लगे मुकेश अंबानी, 65 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम भी खरीदेगे

नई दिल्ली। देश के अमीर शख्स मुकेश अंबानी कर्ज में डूबे अपने छोटे भाई अनिल अंबानी को कर्ज से निकालने में लगे हुए हैं। इसलिए मुकेश अंबानी की जियो और अनिल अंबानी की आरकॉम के बीच स्पेक्ट्रम, मोबाइल टावर और ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क सहित अन्य मोबाइल बिजनेस एसेट्स जियो को बचने की डील हुई थी। लेकिन अब इस डील में बदलाब किये गए है। अब रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम) रिलायंस जियो इन्फोकॉम (जियो) को 800 मेगाहर्ट्ज बैंड के अतिरिक्त 65 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम भी बेचेंगे, जिससे अनिल अंबानी के लिए कर्ज चुकाना आसान हो जाएंगा।

 

आरकॉम और जियो के बीच नया समझौता
रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड (आरकॉम) और रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड (“RJIL”) ने आज समझौते में बदलाव करते हुए आज एक नए समझौते पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की है। आरकॉम जियो को 800 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम के अतिरिक्त 65 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम भी बेचेंगे जा रही है।

आरकॉम पर 45,000 करोड़ रुपए का कर्ज

अनिल अंबानी आरकॉम के वायरलेस एसेट्स को पहले ही अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली जियो इन्फोकॉम को 18,000 करोड़ में बेचा रहे है। कभी देश की दूसरी सबसे बड़ी टैलीकॉम कम्पनी रही आरकॉम इस समय बुरी तरह से कर्ज के संकट से जूझ रही है। इस पर करीब 45,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। जियो की मार्कीट में एंट्री के बाद शुरू हुए कड़े कम्पीटीशन के सामने कम्पनी टिक नहीं पाई और इसे 2017 के आखिरी तक अपना वायरलैस बिजनैस बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

एरिक्‍सन ने किया था केस

दरअसल आरकॉम ने स्वीडन की कंपनी एरिक्‍सन के साथ 2014 देशभर में टॉवर के मेंटीनेंस की 7 साल के लिए डील की थी। घटते रेवेन्‍यू के चलते एरिक्‍सन का आरकॉम पर करीब 978 करोड़ रुपए बकाया है, जो अब बढ़कर 1,600 करोड़ रुपए हो गया है। इसलिए ही आरकॉम के खिलाफ बैंकरप्सी के लिए स्वीडन के टैलीकॉम इक्विपमैंट मेकर एरिक्सन ने एन.सी.एल.टी. का दरवाजा खटखटाया था। एरिक्सन की ओर से 3 याचिकाएं दायर की गई थीं और तीनों को एन.सी.एल.टी. ने स्वीकार कर लिया। इसी की वसूली के लिए स्वीडिश कम्पनी ने यह याचिका दायर की थी।

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