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AGR Case : फैसले की गलत व्याख्या करने पर Supreme Court की केंद्र को लताड़, हलफनामा दायर करने का आदेश

Published: Jun 11, 2020 06:02:58 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

एजीआर बकाए में सरकारी कंपनियों को शामिल करने पर केंद्र को झेलना पड़ा कोर्ट का गुस्सा
प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को हलफनामा दायर कर बताने को कहा कि किस तमा करेंगे एजीआर

Supreme Court on AGR Dues

SC orders to file affidavit to govt for misinterpretation of verdict

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के जस्टिस अरुण मिश्रा ( Justice Arun Mishra ) और उनकी पीठ ने साफ कर दिया कि उनके फैसलों की गलत तरीके व्याख्या की जा रही है। एजीआर मामले ( AGR Case ) में तो सरकार ने खुद गलत व्याख्या की है। तभी एजीआर भुगतान मामले ( AGR Dues Case ) में सरकार ने सरकारी टेलीकॉम और दूसरी कंपनियों से भी एजीआर की मांग है। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जमकर लताड़ लगाई है। वहीं कोर्ट ने प्राइवेट कंपनियों को कहा है कि वो हलफनामा दायर कर जल्द बताए कि वो एजीआर का भुगतान कब और कैसे करेंगे।

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सरकार को दाखिल करना होगा हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट के एजीआर फैसले की गलत व्याख्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए हलफनामा दायर करने को कहा, साथ ही दोषी को कड़ी सजा देने की बात कही। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से एजीआर की बकाया राशि के रूप में चार लाख करोड़ रुपए की टेलीकॉम डिर्पाटमेंट की मांग को अनुचित करार देते हुए कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को इस मामले में दोबारा से विचार करने की जरुरत है।

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कोर्ट की ओर से उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कॉन्फे्रंसिंग से सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों से की गयी इस एजीआर की मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसके आदेश की दलत तरीके से व्याख्या की गई है। सुनवाई के दौरान सार्वजनिक उपक्रमों के बारे में बात ही नहीं हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाए की मांग को पूरी तरह से गलत ठहराया। टेलीकॉम डिपार्टमेंट की ओर से पैरवी कर रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह एक हलफनामा दायर कर बताने का प्रयास करेंगे कि इन कंपनियों से एजीआर बकाए की मांग क्यों की गयी है।

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टेलीकॉम कंपनियों को दाखिल करना होगा रोडमैप
वहीं दूसरी ओर पीठ ने प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को हलफनामा दाखिल जल्द एजीआर भुगतान का रोडमैप देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अन्य सर्विस प्रोवाइडर्स को एजीआर बकाए पर सेल्फ असेसतमेंट करने को लेकर जबकर लताड़ लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि सभी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को ब्याज के साथ एजीआर बकाए का भुगतान करना होगा। एक अनुमान के अनुसार यह राशि 1.6 लाख करोड़ रूपए है।

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