टेलिकाॅम कंपनियों पर लगेगा 5 लाख तक जुर्माना
डेटा ड्राॅप को लेकर कहा गया है कि मासिक प्लान में डाउनलोड के लिए न्यूनतम 90 फीसदी समय तक तय स्पीड के मुताबिक सर्विस मिलती रहनी चाहिए। इसके साथ ही मासिक प्लान में नेट ड्राॅप रेट को अधिकतम 3 फीसदी तक रखा गया है। जबकि नेट के सामान्य ट्रांसमिशन को लेकर कहा गया है कि एक माह में कम से कम 75 फीसदी तय स्पीड में सर्विस मिले। इस नए प्रावधान के मुताबिक अब प्रत्येक माेबाइल टावर से जुड़े नेटवर्क की प्रत्येक दिन की सर्विस का मिलान किया जाएगा। यदि काॅल ड्राप की समस्या पार्इ जाती है तो इसके लिए टेलिकाॅम आॅपरेटर पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा। एक माह में 2 फीसदी से कम काॅल ड्राॅप को तकनीकी बाधा के दायरे में माना जाएगा आैर इससे अधिक होने पर आॅपरेटर को जुर्माना भरना होगा।
वाॅइस सर्विस के बजाय डेटा सर्विस पर कंपनियों का फोकस
काॅल ड्राॅप को लेकर कर्इ जानकारों का कहना है कि शहरों में बढ़ते डेटा इस्तेमाल के कारण से काॅल ड्राॅप की समस्या पहले से आैर अधिक बढ़ गर्इ है। इन कंपनियों को काॅल के मुकाबले डेटा से अधिक मुनाफा हो रहा है। एक संभावित आंकड़े के मुताबिक आने वाले 5 सालों में मोबाइल डेटा में 120 फीसदी का विस्तार होने वाला है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सभी कपंनियां वाॅइस सर्विस के मुकाबले डेटा से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए अधिक ध्यान दे रही हैं।
कंपनियों ने रखी शर्त
कुछ जानकारों का कहना है कि मोबाइल आॅपरेटर आैर सरकार बस एक दूसरे के पाले में गेंद फेंक रहे हैं। जबकि उपभोक्ता भी कम कीमत में सर्विस मिलने के बाद क्वालिटी को लेकर कोर्इ दबाव नहीं बनाता है। काॅल ड्राॅप को लेकर कंपनियों ने भी अपनी शर्त रखी है। टेलिकाॅम कंपनियों का कहना है कि उन्हें सरकारी बिल्डिंगो, सरकारी जमीनों आैर डिफेंस लैंड पर भी टावर लगाने की मंजूरी मिलनी चाहिए। आने वाले 2 सालों में करीब डेढ़ लाख से भी अधिक मोबाइल टावर लगाने की आवश्यकता है जिसके लिए जगह मिलनी चाहिए।