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इटारसी

कचरे के नाम पर कचरे में फूंके नपा के जिम्मेदारों ने 26 लाख रुपए

-अब चारदीवारी में बंद पड़ी है नई मशीनें
 

इटारसीMay 31, 2020 / 01:25 pm

Rahul Saran

itarsi, samrasta nagar, beling machine, polythine,cement bag,company

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इटारसी। समरसता नगर में रहने वाले परिवार शहर में पॉलीथिन बीनकर अपना पेट पालते हैं। इन परिवारों को रोजगार से जोडऩे के लिए नगरपालिका ने सीमेंट बेग बनाने वाली कंपनियों से बात करके इन परिवारों को कचरे से पॉलीथिन अलग कराने के काम में लगाकर उन्हें आर्थिक निर्भर बनाने का प्रोजेक्ट बनाया था। इस प्रोजेक्ट के नाम पर 26 लाख रुपए फूंके गए थे। ५ साल बीतने के बाद भी हकीकत यह है कि ना तो सीमेंट बेग बनाने वाली कंपनियों से कोई बातचीत की गई और ना ही समरसता नगर के परिवारों को कोई काम मिल सका।
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५ साल पहले बनी थी योजना
इटारसी नगरपालिका प्रशासन ने समरसता परिवार के सदस्यों को उनके मौजूदा काम से ही रोजगार दिलाने की मंशा से वर्ष 2015 में योजना बनाई थी। योजना के मुताबिक न्यास कॉलोनी के कचरा डंपिंग ग्राउंड पर जमा कचरे से पॉलीथिन का छांटकर अलग कराने का काम परिवारों को देना था जिसके एवज में उन्हें बेलिंग मशीन का संचालन करने वाला ठेकेदार मेहनताना देता और बेलिंग मशीन से तैयार पॉलीथिन की खेप सीमेंट बेग बनाने वाली कंपनियों को बेची जाती जिससे होने वाली आय का कुछ अंश नपा इन परिवारों के क्षेत्र का विकास करने में खर्च करती।
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कुल 26 लाख में तैयार किया था सेटअप
नगरपालिका प्रशासन ने बड़े-बड़े दावों के साथ कचरा डंपिंग ग्राउंड पर पॉलीथिन प्लांट डालने का काम चालू किया था। प्लांट के लिए करीब 6 लाख रुपए की फटका मशीन लाई गई थी और करीबन 20 लाख रुपए मशीन और भवन की व्यवस्था करने पर खर्च हुए थे। इतना बड़ा बजट खर्च करने के बावजूद एक आदमी को रोजगार नहीं मिला और जिम्मेदारों ने पूरे प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
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प्रतिदिन निकलता है ३६ टन कचरा
नपा के 34 वार्डों में कचरा एकत्रित करने के लिए वाहन घूमते हैं। प्रतिदिन करीबन ३६ टन कचरा जमा होता है। इस कचरे में करीब ४० फीसदी हिस्सा पॉलिथीन का होता है। इसी पॉलीथिन को अलग-अलग कराने का काम उक्त परिवारों को देकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने की योजना थी जो परवान नहीं चढ़ पाई।
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इनका कहना है
उस समय के हिसाब से योजना बहुत अच्छी थी मगर नपा प्रशासन उसकी तैयारी कराने के बावजूद उसका क्रियान्वयन नहीं करा सका। लॉक डाउन के बाद इस विषय पर प्रशासनिक जिम्मेदारों को पुन: विचार करना चाहिए क्योंकि भवन व मशीन सब उपलब्ध हैं।
यज्ञदत्त गौर, पूर्व पार्षद वार्ड 31

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