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इटारसी

इटारसी नगरपालिका का एक और कारनाम, मेजरमेंट बुक को बनाया मजाक

७७ लाख कर दिए खर्च, मेजरमेंट बुक में ब्यौरा नहीं दर्ज..पार्षदों को भी नहीं बताया किन कामों पर की है राशि खर्चइटारसी में जलावर्धन योजना का मामला

इटारसीMar 14, 2018 / 11:26 am

Rahul Saran

itarsi, nagarpalika, purani itarsi, water project, measurment book

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राहुल शरण, इटारसी। होशंगाबाद जिले में इटारसी नगरपालिका नियमों को ताक पर रखकर काम करने के मामले में आगे है। फिर चाहे सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी नहीं देने की मनमानी हो या फिर पार्षदों द्वारा लगाए जाने वाले पत्रों पर मांगे जवाबों का मामला हो, ऐसी कोई भी जानकारी जो नगरपालिका छिपाना चाहती है वह परिषद के पार्षदों से भी शेअर नहीं करती है। ऐसा ही एक सवाल है जो जलावर्धन योजना से जुड़ा है जिसमें अब तक उसका जवाब ही सामने नहीं आ सका है। यह मामला 77 लाख रुपए की उस राशि को खर्च करने का है जिसे नपा खर्च करना तो स्वीकार रही है मगर कहां खर्च की है इसकी लिखित जानकारी खुद मेजरमेंट बुक में दर्ज नहीं है और यही जानकारी परिषद के पार्षद जानने के लिए कई महीनों से प्रयास कर रहे हैं।
77 लाख का ब्यौरा नहीं, पार्षद भी अनजान
नगरपालिका जब भी कोई निर्माण कार्य किसी एजेंसी या ठेकेदार से कराती है तो उसके काम को एमबी यानी मेजरमेंट बुक में दर्ज करना होता है। एमबी में यह लिखा होता है कि क्या काम एजेंसी ने किया है और कितना भुगतान हुआ है। जलावर्धन योजना में अब तक करीब २१ करोड़ २४ लाख रुपए खर्च हो गया है मगर मेजरमेंट बुक में कंटेनजेंसी और टेम्परेरी वर्क के नाम से बने हेड में किए गए काम का ब्यौरा दर्ज नहीं है। उसमें केवल कंटेनजेंसी और टेम्परेरी वर्क के नाम पर ७७.०४ लाख रुपए का भुगतान लिखा है। यह भुगतान किस काम के लिए किया गया है यही जानने के लिए नपा के पार्षद महीनों से प्रयास कर रहे हैं मगर उन्हें जानकारी नहीं मिल रही है।
किस पर कितना खर्च हुआ
इंटकवेल निर्माण- ५४ लाख 53 हजार
रॉ वाटर पंप निर्माण-1५ लाख 34
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण- 2 करोड़ ५३ लाख 26 हजार रुपए
क्लिअर वाटर संपवेल- 55 लाख 70 हजार
क्लिअर वाटर पंप हाउस- 72 लाख 3 हजार
रॉ एंड क्लिअर वाटर पाइप लाइन- 11 लाख 36 हजार
फीडर मेन लाइन पर खर्च- 1 करोड़ 25 लाख रुपए
ओवरहेड टैंक 4 नग- 3 करोड़ १३ लाख
कंटेनजेंसी/ टेम्पेररी वर्क- 77 लाख 4 हजार
एचटी फीडर निर्माण- 16 लाख ८७ लाख रुपए
एक नजर में जलावर्धन योजना
योजना की कुल लागत- 24 करोड़ ५४ लाख रुपए
योजना पर अब तक खर्च- 21 करोड़ 24 लाख रुपए
यह सवाल भी अनसुलझा
जलावर्धन योजना की जब पाइप लाइन बिछी थी उस दौरान करीब 2 किमी की पाइप लाइन में परिवर्तन हुआ था। डीपीआर में सीआई पाइप लाइन डालना तय हुआ था मगर 2 किमी में डीआई पाइप लाइन डाली गई थी। उस दौरान भी जमकर मामला उछला था तो 1 करोड़ रुपए की राशि के अंतर को समयोजित किए जाना था। संचालनालय से आए प्रतिवेदन में भी इसके निर्देश थे मगर यह मामला भी अनसुलझा ही रहा और इसमें क्या कदम उठाए गए इसका खुलासा नहीं हो सका।
यह है जलावर्धन योजना
केंद्र सरकार ने यूआईडीएसएसएमटी योजना के तहत इटारसी शहर के लिए जलावर्धन योजना वर्ष 2009 में स्वीकृत की थी। उस दौरान योजना के लिए 14 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की थी। योजना के तहत 1३५ लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से देने का लक्ष्य था। योजना के तहत इंटकवेल, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, 14 किमी की पाइप लाइन और शहर में 5 ओवरहेड टैंक प्रस्तावित किए गए थे। योजना में देरी के कारण इसकी लागत बढ़कर २४ करोड़ रुपए हो गई है।
पार्षदों के तर्क
हमने तीन चार माह पहले इस संबंध में लिखित में जानकारी मांगी थी मगर अब तक जानकारी नही दी है। एमबी में कंटेनजेंसी/टेम्प्रेरी मद में ७७ लाख का भुगतान तो बता दिया मगर यह नहीं बताया जा रहा है कि उस मद में काम क्या किए गए हैं। इससे कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
यज्ञदत्त गौर, पार्षद वार्ड 32
एमबी में काम की पूरी जानकारी दर्ज होना चाहिए मगर ऐसा नहीं हुआ है। एमबी में दर्ज 77 लाख रुपए के भुगतान को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि पता तो चले कि इतनी बड़ी राशि कहां-कहां खर्च हुई।
भागेश्वरी रावत, पार्षद वार्ड ४
कंटेनजेंसी/टेम्प्रेरी मद में क्या काम हुए हैं उसका उल्लेख एमबी में होना चाहिए। यदि केवल कंटेनजेंसी/टेम्प्रेरी मद में ७७ लाख रुपए का खर्च दिखाया गया है तो यह गलत है। इससे यह कैसे पता चलेगा कि क्या काम कराया गया है।
भारत वर्मा, पार्षद वार्ड 1६
सीएमओ का पक्ष
जब कोई बड़ा प्रोजेक्ट बनता है तो उसमें कंटेनजेंसी/टेम्परेरी वर्क के लिए कुछ फंड का प्रावधान रहता है। चूंकि यह मामला हमारे आने के पहले का है और उसकी बहुत ज्यादा जानकारी भी नही है इसलिए बिना फाइल और एमबी देखे अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। पूरी फाइल देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। रहा सवाल पार्षदों को जानकारी देने का तो वे आरटीआई में जानकारी ले सकते हैं, उसमें छिपाने जैसी कोई बात ही नही है।
अक्षत बुंदेला, सीएमओ इटारसी

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