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इटारसी

चार साल बीते, नहीं लगी किसानों की पाठशाला..

-वर्ष 2014 में कृषि विभाग में बनी थी योजना

इटारसीSep 12, 2018 / 09:47 am

Rahul Saran

Admission to 75 students

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इटारसी। कृषकों को तकनीक से जोडऩे और कृषि को किसानों के लिए लाभकारी बनाने की मंशा से वर्ष 2014 में कृषि पाठशाला लगाने की योजना बनी थी। इस पाठशाला में कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के विद्यार्थी भी शामिल होना थे। यह पाठशाला हरियाणा और पंजाब में लगने वाली कृषि पाठशाला की तर्ज पर लगाना तय हुआ था। योजना बनने के बाद विभाग के अधिकारी और जिला प्रशासन इस पर अमल करना भूल गया। चार साल का लंबा वक्त बीत गया है और कड़वी हकीकत यह है कि एक भी पाठशाला किसानों को लेकर नहीं लगी है।
वर्ष 2014 में बनी थी योजना
सिंतबर २014 में तत्कालीन नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर और कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी। इस बैठक में संभाग में किसान पाठशाला शुरू करने की योजना बनी थी। यह पाठशाला पंजाब और हरियाणा राज्य में चलने वाली कृषि पाठशाला की तर्ज पर सप्ताह में 2 दिन लगाने का निर्णय हुआ था। इन पाठशालाओं में कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को भी शामिल करने पर सहमति बनी थी।
पंचायत भवन/ स्कूलों में लगना थी पाठशाला
कृषि को तकनीक से जोड़कर आधुनिक कृषि बनाने के लिए पाठशाला लगाने की योजना को जिले के ग्राम पंचायत भवनों और पंचायत भवनों की उपलब्धता नहीं होने पर शासकीय माध्यमिक स्कूलों से कराने का निर्णय हुआ था। योजना तो बन गई मगर उस पर अमल करना खुद अधिकारी ही भूल गए। वर्ष 2014 से 2018 तक करीब 4 साल का लंबा वक्त बीत गया है मगर अब तक योजना के तहत एक भी पाठशाला नहीं लग पाई। विभाग ने भी इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
एक नजर में इटारसी तहसील
तहसील का नाम- इटारसी
कृषि क्षेत्र का रकबा- करीब 3 लाख हेक्टेयर
हलकों की संख्या- करीब १५
पंचायत भवनों की संख्या- करीब ७०
किसानों की संख्या- करीब २० हजार
किसने क्या कहा
योजना बहुत अच्छी थी जिससे किसानों के साथ ही विद्यार्थियों को भी लाभ मिलता मगर किसानों के लिए इस तरह की कोई पाठशाला अब तक नहीं हुई है। विभाग को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
हरपाल सिंह सोलंकी, जिला प्रवक्ता भारतीय किसान मजदूर संघ
किसानों के लिए शासन की जो योजनाएं चल रहीं हैं अभी उनका ही क्रियान्वयन बेहतर तरीके से कराने का प्रयास किया जा रहा है। किसान पाठशाला लगाने की योजना के बारे में जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
जीतेंद्र ङ्क्षसह, उपसंचालक कृषि

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