यह कहना है, इटारसी के मुखर्जी अस्पताल में की नर्सों का, जोकि संविदा और नियमित में कार्यरत है। कहने को इनकी ड्यूटी 8 घंटे की तीन अलग शिफ्टों में होती है, पर सबसे कठिन ड्यूटी रात की होती है, जब नर्स को अपने परिवार पति- बच्चे को छोड़कर अस्पताल में मरीज की सेवा परी रात जागकर करती है, लेकिन यहां भी उनके चेहरे का भाव संतोष और सुकून महसूस कराता है, हालांकि अपने परिवार को समय ना दे पाने का मलाल रहता है, पर मरीज की सेवा को सर्वोपरि और अपना जीवन समर्पित करके वे बहुत ही खुश रहती है।
अच्छा व्यवहार मरीज की आधी बीमारी ठीक कर देता है
मुखर्जी अस्पताल की नर्स अनामिका चौरे ने बताया कि हमें अपनी ट्रेनिंग का पहला पाठ मरीजों की सेवा के साथ ही उनसे बातचीत, अच्छा व्यवहार सिखाया जाता है। कहते है कि मरीज चाहे युवा, बुजुर्ग या बच्चा हो, उनसे प्यार और अच्छे से व्यवहार करो, तो उसकी आधी बीमारी चली जाती है। कोरोना कॉल में हम कभी नहीं घबराएं। सामान्य बीमारी का ही मरीज समझकर हमने सेवा करी है। अनामिका के दो छोटे बच्चे हैं। मानवता की सेवा में मुझे परिवार का पूरा साथ मिलता है। वही मेटरनिटी वार्ड की अंजली पाठक का भी मानना है कि हम अस्पताल को अपना घर और मरीज को ही परिवार मानते हैं। मुझे घर से भी पूरा सपोर्ट मिलता है। सबसे अधिक खुशी और संतुष्टि तब मिलती, जब यहां से मरीज स्वस्थ होकर जाता है। जाते समय हमें धन्यवाद कहता है। यही हमारी थकान, तनाव को दूर कर देता है।
मुखर्जी अस्पताल की नर्स अनामिका चौरे ने बताया कि हमें अपनी ट्रेनिंग का पहला पाठ मरीजों की सेवा के साथ ही उनसे बातचीत, अच्छा व्यवहार सिखाया जाता है। कहते है कि मरीज चाहे युवा, बुजुर्ग या बच्चा हो, उनसे प्यार और अच्छे से व्यवहार करो, तो उसकी आधी बीमारी चली जाती है। कोरोना कॉल में हम कभी नहीं घबराएं। सामान्य बीमारी का ही मरीज समझकर हमने सेवा करी है। अनामिका के दो छोटे बच्चे हैं। मानवता की सेवा में मुझे परिवार का पूरा साथ मिलता है। वही मेटरनिटी वार्ड की अंजली पाठक का भी मानना है कि हम अस्पताल को अपना घर और मरीज को ही परिवार मानते हैं। मुझे घर से भी पूरा सपोर्ट मिलता है। सबसे अधिक खुशी और संतुष्टि तब मिलती, जब यहां से मरीज स्वस्थ होकर जाता है। जाते समय हमें धन्यवाद कहता है। यही हमारी थकान, तनाव को दूर कर देता है।