भोपाल स्टेशन पर एफओबी गिरने की घटना के बाद अधिकारियों ने शुक्रवार की शाम को इटारसी स्टेशन के एफओबी का भी निरीक्षण किया। बताया जाता है कि ओवरब्रिज के निचली तरफ के कुछ हिस्सों को चिन्हित कर मरमत की आवश्यकता बताई गई। निचले हिस्से में लगे दोनों तरफ के गर्डर के हिस्सों में भरे गए मटेरियल को बदलने की बात कही गई।
भोपाल हादसे के 48 घंटे में ही इस ब्रिज का निरीक्षण करने आए अधिकारी मीडिया से बचने की कोशिश कर रहे हैं। दक्षिण से आए इंजीनियरों के दल ने इसके मरमत की कही है। कहां, किस हिस्से में मरमत होना है? इस बारे में स्थानीय इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी खुलासा करने से बच रहे हैं।
इटारसी स्टेशन पर बना एफओबी करीब 50 साल का हो गया है, हालांकि वे दावा कर रहे कि इस पर आज तक कोई हादसा नहीं हुआ है। लेकिन यह भी स्वीकार रहे है कि गर्डर पर बने इस ओवर ब्रिज पर अब यात्रियों का ट्रैैफिक बढ़ गया है। इसलिए मरमत की जरूरत है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि कुछ ही महीनों मे नया एफओबी शुरू हो जाने के बाद इस पर यात्रियों का दबाव कम हो जाएगा। पिछले सप्ताह डीआरएम के निरीक्षण के बाद दूसरे एफओबी निर्माण कार्य में तेजी आ गई है।
इटारसी के एफओबी पर यात्रियों को उतरने के लिए लायओवर नहीं है। ऐसे में प्लेटफार्म एक से सात तक जाने के लिए सीढिय़ां बनी है। इसमें एक नबंर पर जाने एक ओर सीढिय़ां और लिप्ट, दो और तीन, चार और पांच में जाने दोनों तरफ सीढिय़ां, छह और सात में जाने एक लिप्ट और एक ओर सीढिय़ां बनी है।
अधिकारियों का कहना है कि यह ओवरब्रिज जक्शंन का सबसे पुराना और पहला ब्रिज है। खास बात ये है कि इसे उस वक्त रेलवे के इंजीनियरों ने स्वयं अपनी देखरेख में बनाया है। जबकि आजकल रेलवे का ब्रिज सेक्शन ठेके पर निर्माण करवाता है। इससे कहीं न कहीं क्वालिटी में कमी आ सकती है।
जक्शंन में यात्री ट्रेनें कम होने से 50 साल पहले ब्रिज पहले यात्री संया कम थी, लेकिन आज रोजाना लगभग 6 से 7 हजार यात्री इस एफओबी से आवाजाही करते हैं। सातों प्लेटफार्मोंं पर 200 ट्रेनों से 24 घंटे की आवाजाही इसी ब्रिज से होती है। वही शहर के दूसरे हिस्से के लोग भी इसी ब्रिज से आवाजाही करते हैं। रेलवे प्रबंधन भले ही तकनीकी दृष्टि से यह ओवरब्रिज मजूबत बता रहे, लेकिन भोपाल हादसे के बाद रेल प्रशासन की नींद इस ब्रिज को लेकर खुल गई है। अधिकारियों का लगातार निरीक्षण इस बात का सबूत है।
भोपाल हादसे के बाद ओवरब्रिज से प्लेटफार्मों पर उतरने के लिए बने सीढिय़ों के नीचे के ऑफिसों को हटाने की तैयारी की जा रही है। निरीक्षण करने आए इंजीनियरों का तर्क है कि यात्रियों के दबाव की वजह से पुल पर वाइब्रेशन होता है। पुल के स्लैब की लाइफ कम हो जाती है। इससेसीढिय़ों और नीचे बने ऑफिसों को खतरा है। बताया जाता है कि इन ऑफिसों को हटाने का आदेश तीन साल पहले भी आया था,
किन आदेश का क्रियान्वयन नहीं हुआ।
भोपाल हादसे के बाद सतर्क हुए अधिकारी
अधिकारियों का दावा है कि एफओबी का साल में एक बार जबलपुर जोन के अधिकारी आकर सेटी ऑडिट करते हैं। वहीं स्थानीय इंजीनियर समय- समय पर मेंटीनेंस करते रहते हैं। फिर भी अधिकारी भोपाल हादसे के सतर्क हो गए हैं।
इटारसी जक्शंन के पुराने एफओबी का मेंटनेंस और सेटी ऑडिट समय- समय पर रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग करता है। 50 साल पहले बना यह पुल काफी मजबूत है। फिर भी भोपाल हादसे के बाद इस पुल की भी निगरानी शुरू कर दी गई है।
आईए सिद्दकी, पीआरओ, पश्चिम मध्य रेलवेभोपाल