कक्षा 11 के छात्र सार्थक ने ये साबित कर दिया है कि मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो, तो कोई भी काम असंभव नहीं है। सार्थक ने मानवता का परिचय देते एक आवारा डॉग पप्पी चिक्की को फिर से देशी जुगाड़ से चलने लायक बना दिया। 15 दिन पहले एक वाहन ने चिक्की को टक्कर मारकर घायल कर दिया था। सार्थक ने जब घायल चिक्की को लेकर पशु डॉक्टर के पास गया, तो डॉक्टर ने कहा कि रीढ की हड्डी टूट गई है और यह अब पप्पी कभी चल नहीं सकेगा। लेकिन डॉक्टर के ये कहने के बाद भी सार्थक ने हिम्मत नहीं हारी और चिक्की को फिर से चलाने की ठान ली।
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सार्थक ने अपने वकील पिता ललित रायसा को अपने आइडिया से अवगत कराया। पिता ने महज पांच सौ रुपये खर्च कर पीवीसी पाइप, बेल्ट, चके इत्यादि लाकर दिए। उसके बाद बेटे सार्थक ने वो कर दिखाया, जो मानवीय संवेदना की मिसाल बन गया। इसकी सभी सराहना कर रहे हैं। सार्थक ने माता-पिता और कॉलोनी के लोगों की मदद से एक डॉगी को वापस चलने लायक बना दिया है। अब चिक्की जुगाड़ से बनी व्हील चेयर पर अपनी मां के पीछे- पीछे चलता है। सार्थक ने बताया कि सड़क दुर्घटना में रीढ़ की हड्डियों के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद वो घिसटने लायक रह गया था। अब उसे खुशी होती है कि उसने फिर से चिक्की को खेलने-घूमने के लायक बना दिया है।
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