जबलपुर। स्कूलों की गुणवत्ता सुधार के लिए स्कूल शिक्षा विभाग मसाबों की परीक्षा आयोजित कर रहा है। लेकिन शिक्षक परीक्षा देने से भाग रहे हैं। जब लोक शिक्षण संचालनालय स्तर पर जांच की गई तो बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक सामने आए जो दक्षता परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए। ऐसे शिक्षकों को दोबारा परीक्षा देने के लिए बुलाया जा रहा है। वहीं दूसरी और विभाग के अधिकारी यह कहकर खुद को बचाने की कोशिश कर तर्क दे रहे हैं कि असमंजस की स्थिति और सूचना के अभाव में शिक्षक परीक्षा में शामिल नहीं हो सके। जिले के 134 माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को अब दोबारा से परीक्षा ली जा रही है। परीक्षा लेने से हडक़ंप की स्थिति है।
मिडिल स्कूलों में गिरी गाज बताया जाता है दसवीं के खराब परीक्षा परिणाम वाले हाईस्कूलों के साथ मिडिल स्कूल भी चपेट में आ गए। इसकी वजह मिडिल स्कूलों में शिक्षकों द्वारा ठीक तरह से पढ़ाया न जाना है जिसके चलते हाईस्कूलों का परफारमेंस कमजोर साबित हुआ है। क्योंकि मिडिल स्कूल से प्रमोट होकर छात्र 9वीं कक्षा में प्रवेश लेता है। मिडिल स्कूलों में शिक्षकों द्वारा पढ़ाई से जी चुराने के चलते इसका असर हाईस्कूल में पड़ा।
60 स्कूल आए निशाने पर सूत्रों के अनुसार हाईस्कूल के कैचमेंट एरिया से जुड़े 60 मिडिल स्कूलों के शिक्षक निशाने पर आए हैं। जो कि कक्षा 6वीं से 8वीं में अध्यापन कार्य कराते हैं। जिले में सबसे खराब स्थिति कुण्डम विकासखंड की है जहां सर्वाधिक 33 शिक्षक शामिल हैं। इन शिक्षकों को 15 जून को दोबारा परीक्षा में आयोजित होने के सख्त आदेश दिए गए हैं। डीपीआई ने भी इन शिक्षकों की दो वेतनवृद्धि रोकने के लिए आदेश दिए हैं जिससे शिक्षकों में हडक़ंप की स्थिति है।
-खराब परिणाम को लेकर आयोजित विभागीय परीक्षा में कुछ शिक्षक किन्हीं कारणों से शामिल नहीं हो सके थे। ऐसे शिक्षकों को दोबारा परीक्षा में बुलाया गया है। -सुनील नेमा, जिला शिक्षा अधिकारी