राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ निवासी शांतिलाल जोशी की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि मप्र सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल के जरिए 28 अगस्त 2018 को विज्ञापन प्रकाशित किया। दिसम्बर 2018 में परीक्षा हुई। भर्ती प्रक्रिया के अंतिम चरण में चयनित अभ्यर्थियों की अंतिम सूची जारी करने के लिए 10 जनवरी 2020 को निर्देशिका जारी की गई। अधिवक्ता ब्रह्मेंद्र पाठक ने तर्क दिया कि उक्त निर्देशिका में इस भर्ती में 27 फीसदी ओबीसी व 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देने का प्रावधान कर दिया गया। जबकि, राज्य सरकार ने 28 अगस्त 2018 के विज्ञापन के बाद 24 दिसम्बर 2019 को बढ़ा हुआ ओबीसी आरक्षण लागू करने का नोटिफिकेशन किया। इस लिहाज से यह आरक्षण अवैध है। इसके चलते कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो जाएगा, जो सुकों के निर्देशों का उल्लंघन है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने 27 फरवरी को मामले की फिर सुनवाई के निर्देश दिए।