जानकारों के अनुसार राज्य सरकार की ओर से नई नियमित नियुक्ति और मौजूदा शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया नहीं अपनाए जाने से आयुर्वेद कॉलेज में शिक्षकों की कमी हो गई है। आयुर्वेद कॉलेजों में सालों से नियमित पदों पर शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। एसोसिसट और असिसटेंट प्रोफेसरों के 10-10 साल से प्रमोशन नहीं होने से भी प्रोफेसर और एसोसिएट के पद खाली हैं। करीब 35 टीचिंग स्टाफ है। इसमें अभी चार प्रोफेसर हैं। प्रोफेसर की संख्या कम से कम 14 होनी चाहिए। 10-12 एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये 18 होने चाहिए।
प्रदेश भर में यही स्थिति
सीसीआईएम के प्रावधान से प्रदेश के सभी सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता संकट में है। इसमें भोपाल, ग्वालियर, रीवा, इंदौर, उज्जैन और बुराहानपुर कॉलेज में भी नियमित शिक्षकों की कमी है। बुरहानपुर को छोड़कर बाकी आयुर्वेद कॉलेजों में बीएएमएस की सीटें 75 हो गई हैं। इसके कारण सीसीआईएम के प्रोफेसर सम्बंधी मापदंड को कोई भी सरकारी कॉलेज पूरा नहीं करत।े अगदतंत्र और कौमारभृत्य विभाग में कहीं भी पर पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। अनुमान के मुताबिक सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों में फैकल्टी के लगभग 188 पद रिक्त हैं। आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडे के अनुसार प्रदेश सरकार शीघ्र ही चिकित्सा शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्तियां करे, अन्यथा सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यताएं प्रभावित होंगी।