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जबलपुर

गजब के जालसाज, बैंक मैनेजर से ही ठग लिया नौ लाख

दिल्ली का है गिरोह, एमपी सहित यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार व दिल्ली तक फैला है नेटवर्क-बैंको से लाखों की ठगी करने वाले गिरोह का एक और गुर्गा गिरफ्तार, स्टेट साइबर सेल की कार्रवाई एमपी सहित कई अन्य राज्यों में कर चुके हैं ठगी

जबलपुरMar 31, 2019 / 11:26 pm

santosh singh

लाखों की ठगी करने वाले गिरोह का एक और गुर्गा गिरफ्तार

लाखों की ठगी करने वाले गिरोह का एक और गुर्गा गिरफ्तार

जबलपुर. नामी एजेंसी या बड़ी कम्पनी का प्रोपराइटर बताकर बैंक मैनेजरों से धोखाधड़ी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के एक और गुर्गे को स्टेट साइबर सेल ने दिल्ली से दबोचा है। गिरोह ने महानद्दा स्थित बैंक मैनेजर को झांसे में लेकर नौ लाख रुपए आरटीजीएस कराया था। एजेंसी की ओर से बैंक मैनेजर को भुगतान सम्बंधी चेक नहीं पहुंचे, तो ठगी का खुलासा हुआ। खाताधारक को सेल पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। मुख्य सरगना सहित अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। गिरोह एमपी, यूपी, दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल में भी बैंक मैनेजरों से लाखों की ठगी कर चुका है।
सितम्बर 2018 में दर्ज हुआ था प्रकरण
स्टेट साइबर सेल एसपी अंकित शुक्ला ने बताया, महानद्दा स्थित यूनियन बैंक के मैनेजर नवीन रंजन चौधरी ने 24 सितम्बर को नौ लाख 234 रुपए आरटीजीएस के माध्यम से धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया, शहर के एक प्रतिष्ठित वाहन एजेंसी का मालिक बनकर किसी ने उनसे नौ लाख 234 रुपए बबलू चौधरी नामक व्यक्ति के खाते में आरटीजीएस कराया। एजेंसी से चेक नहीं पहुंचने पर उन्होंने एजेंसी के मालिक से बात की, तब धोखाधड़ी का पता चला। धारा 419, 420, 468, 120बी भादवि एवं 66सी, 66डी आईटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की गई।
पूर्व में एक आरोपी को दबोच चुकी है टीम
पूर्व में खाता उपलब्ध कराने वाले हाफिजपुर गौतमबुद्धनगर यूपी निवासी आदर्श कुमार उर्फ विक्रम को गिरफ्तार किया गया था। उससे पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर शनिवार को निरीक्षक विविन ताम्रकार, एसआइ श्वेता सिंह, हेमंत पाठक, आरक्षक अजीत गौतम, आसिफ अहमद, आलोक की टीम को दिल्ली भेजा गया। टीम ने वहां से खाताधारक पांचाल विहार थाना करावल दिल्ली निवासी बबलू चौधरी को गिरफ्तार किया गया।
गिरोह का सरगना है सीए
बबलू ने पूछताछ में बताया, गिरोह का सरगना सीए है। वह गिरोह के पांच-छह गुर्गों के साथ मिलकर ठगी करता है। गिरोह गूगल से सर्च कर विभिन्न प्रांतों में बड़ी वाहन एजेंसी या कम्पनी के सम्पर्क नम्बर प्राप्त करता है। फिर मालिक या मैनेजर बनकर एक-दूसरे से बैंक खाते के बारे में जानकारी लेते हैं। इसके बाद बैंक मैनेजर को से फोन पर अर्जेंट रकम आरटीजीएस करा लेते हैं। जिसके खाते में रकम ट्रांसफर कराई जाती है, उसे भी 10 से 20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है।

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