नियमों को दिखा रहे अंगूठा
जबलपुर•Oct 14, 2019 / 05:51 pm•
shyam bihari
प्रतीकात्मक फोटो
जबलपुर। दुकान, होटल कहीं भी कुछ खा रहे हैं, तो सावधान हो जाएं। क्योंकि, मिलावटखोरी ने खतरे की घंटी बजा दी है। कहने को तो खाद्य पदार्थों के निर्माण के लिए एफएसएसएआई (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने मानक तो तय किए हैं, लेकिन इनका पालन सुनिश्चित करने के कोई उपाय नहीं किए हैं। त्योहारों पर मुनाफाखोरी के चक्कर में खुलेआम मानकों की अनदेखी हो रही है। अमानक घटकों की मिलावट और समय सीमा के बाद भी खाद्य पदार्थों को बेचने के कारण स्वास्थ्य पर गम्भीर संकट मंडरा रहा है। ऑनलाइन ऑर्डर देने वाले ग्राहकों को पता नहीं होता कि खाद्य पदार्थ का निर्माण किसने और किन परिस्थितियों में किया है। बनाने वाला स्वास्थ्य के दृष्टि से खाना बनाने में कितना जानकार है। इसका कारण खाद्य पदार्थ के निर्माण और बिक्री के लिए शासन से अनुमति लेना या पंजीयन कराना आवश्यक नहीं होना है।
कंट्रोल नहीं है
मुख्य रूप से हलवाइयों, होटलों या रेस्टोरेंट पर सरकार का नाममात्र का नियंत्रण है। खाद्य पदार्थों में अनुचित घटकों का प्रयोग करने वाले भ्रष्टाचार के सहारे अपने क्रियाकलापों में लगे रहते हैंं, और जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हैं। किसी भी भोजनालय या खाद्य पदार्थों के निर्माता, विक्रेता के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय या एफएसएसएआई के अंतर्गत पंजीयन कराना आवश्यक होना चाहिए, जिससे उनके निर्माण पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सके। सेनेटरी अधिकारियों, स्वास्थ्य अधिकारियों पर कठोर नियंत्रण किया जाना चाहिए।
बरतें सावधानी
खाद्य पदार्थों के घटक शाक-सब्जी या फल आदि उत्तम गुणवत्ता के हों। सब्जी या फल काटते समय अच्छे से धोना चाहिए, सड़ा गला हिस्सा आवश्यक रूप से अलग किया जाए। खाद्य पदार्थ तैयार करने वाला किसी गंभीर या संक्रामक बीमारी से पीडि़त नहीं होना चाहिए। खाद्य पदार्थ बनाते समय हाथों में ग्लव्स पहनें, हाईजीन का ध्यान रखें। बनाने वाला बालों को कपड़े से बांध कर रखे। रसोई में किसी को खाने-पीने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। खाद्य पदार्थों में उपयोग किए जा रहे घटक (अवयव) और घी, तेल, मिर्च, मसाले शुद्ध होने चाहिए। वस्तु को स्वादिष्ट व आकर्षक बनाने के लिए हानिकारक रसायन का उपयोग नहीं होना चाहिए। खाद्य पदार्थों में अंतराष्ट्रीय स्तर पर वर्जित अवयवो जैसे रिफाइंड ऑयल, मैदा, साधारण नमक, रसायन, मात्र स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाले पदार्थ आदि का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
जांच भी कर सकते हैं
पनीर में सोख्ता कागज की मिलावट की पहचान के लिए पनीर के टुकड़े को उलटे चाकू से काटें। रेशा दिखे तो समझ लें कि इसमें मिलावट है। बिना उबले घंटों रखे जाने के बाबजूद दूध का नहीं फटना सिंथेटिक दूध की मुख्य पहचान है। शुद्ध घी में मिलावट की पहचान उसे जीभ पर रखने भर से हो जाती है। मिलावट होने पर वह जीभ व तालू पर चिपकेगा। खोवा में मिलावट की जांच के लिए आयोडीन टिंक्चर मिलाएं, मिलावट होने पर रंग गहरा नीला हो जाता है। सरसों के तेल में प्राय: आरजीमोन की मिलावट होती है, जिसकी सामान्यत: पहचान नहीं हो पाती। ऐसे में पैकिंग निर्मित तेल ही खरीदना चाहिए, जिसकी निर्माण तिथि नजदीक ही हो। हल्दी, मिर्च पाउडर में रंग व स्टार्च की मिलावट का पता लगाने के लिए अखबार के कागज पर रखकर उसे रगड़े और झाड़ दें। यदि अखबार में रंग गहरा दिखाई दे तो उसमें मिलावट है। शुद्ध काली मिर्च की पहचान के लिए उसे सूंघें। खनिज तेल की गंध आने पर मिलावट साबित होता है। काली मिर्च को पानी में डालें। यदि बीज तैरता है तो समझें वह पपीते का बीज है। धनिया पाउडर को पानी में डालने पर शुद्ध धनिया तली में बैठ जाता है। लकड़ी का बुरादा व अन्य मिलावट पानी की सतह पर तैरेगा।
थोड़ा सा ध्यान रखें
पाश्चुरीकृत दूध से बनी वस्तुएं खऱीदें। पैकेट व सील लगे दूध या दूध से बने खाद्य पदार्थ ही खरीदें। खुला दूध या दही का उपयोग करने से बचें। पनीर या दही में चिकनाहट नजर आ रही है तो उसे न लें। डिब्बा बंद, सील और इस्तेमाल करने की अंतिम तारीख लगी हुई वस्तुएं ही खरीदें। सरसों का तेल डिब्बाबंद ही लें। हमेशा साफ खड़े अनाज व दालें खरीदें। छोटे-बड़े या छेद वाले पैकेट नहीं लें। यदि मसालों की महक बदल गई है, गांठ नजर आ रही हैं या रंगत अलग दिख रही है तो न खरीदें। डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ फूला या खुला हो तो उसे न खरीदें। तरल पदार्थ साफ होने चाहिए। किसी प्रकार के बुलबुले नहीं होने चाहिए।
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