सशस्त्र सेना झंडा दिवस दान राशि देने में शासकीय और निजी संस्थाओं की अपेक्षा व्यक्ति आगे रहे। इसलिए जिला सैनिक कल्याण बोर्ड का खजाना समय से पहले भर गया। बोर्ड ने 11.60 लाख रुपए दानराशि जुटाने का लक्ष्य रखा था। अभी तक बोर्ड के खजाने में 25 लाख रुपए जाम हो चुके हैं। यह राशि पूरे मध्यप्रदेश के सैनिक कल्याण बोर्ड की ओर से जुटाई गई दानराशि में सबसे अधिक है। सात दिसम्बर को झंडा दिवस पर दानराशि शासन के सुपुर्द की जाएगी।
जिला सैनिक कल्याण बोर्ड भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवार के सदस्यों को विभिन्न कार्यों के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराता है। इसमें पढ़ाई, दिव्यांगों की मदद, स्कॉलरशिप और बच्चियों की शादी आदि शामिल है। इसके लिए झंडा दिवस के उपलक्ष्य में शासकीय और निजी संस्थाओं को बोर्ड झंडे उपलब्ध कराता है। इससे जुटाई गई राशि इस मद में जमा की जाती है। इस बार शासकीय और निजी संस्थाओं की तुला में व्यक्तिगत सहायता ज्यादा मिली, इससे लक्ष्य समय से पहले पूरा हो गया। पुलवामा की घटना के बाद कई लोग प्रशासन के पास दानराशि लेकर पहुंचे, लेकिन उन्हें जिला सैनिक कल्याण बोर्ड भेज दिया गया।
सात हजार भूतपूर्व सैनिक पंजीकृत
जिला सैनिक कल्याण बोर्ड में जबलपुर और मंडला के सात हजार भूतपूर्व सैनिक पंजीकृत हैं। इनमें जबलपुर जिले के 5700 भूतपूर्व सैनिक शामिल हैं। इसमें 90 प्रतिशत थलसेना और शेष नौसेना और वायुसेना के जवान हैं।
बड़े दानदाता
दानदाता : राशि (रुपए में)
बसंत गड़े : 3.51 लाख
गोपाल सिंघल : 50 हजार
नंदकिशोर नेमा : 31 हजार
प्रदीप मुखर्जी : 30 हजार
रोहित यादव : 20 हजार
सौ संस्थाओं ने नहीं किया सहयोग
जिले में 250 शासकीय-अशासकीय संस्थाओं को झंडा स्टीकर और झंडे भेजे जाते हैं। इस साल निजी संस्थाओं की भागीदारी ठीक रही। शासन के कई विभागों सहित करीब 100 संस्थाओं ने सहयोग नहीं किया। कुछ संगठन ऐसे भी हैं, जिन्हें झंडे नहीं भेजे गए थे, लेकिन उन्होंने स्वेच्छा से दानराशि दी। इनमें मानस मंडल नेमा समाज ने एक लाख रुपए और मराठी भाषिक ज्येष्ठ नागरिक महामंडल जबलपुर ने 71 हजार रुपए जमा कराए।
झंडा दिवस दानराशि भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवार के कल्याण पर खर्च की जाती है। तय लख्य से अधिक राशि जुटाई है। कई संस्थाएं भागीदारी नहीं कर रही हैं। वे भी सहयोग करें तो स्थिति और बेहतर होगी।
विंग कमांडर (रिटा.) पंकज कुमार, जिला सैनिक कल्याण बोड