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जबलपुर

asian games: पूरे वर्ल्ड में छा गई MP की इस तीरंदाज की खूबसूरत ‘मुस्कान’

जकार्ता एशियन गेम्स में तीरंदाजी में दिखाया जलवा

जबलपुरAug 26, 2018 / 08:51 pm

Premshankar Tiwari

asian games champion muskan sucess story

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जबलपुर। दो साल पहले मध्यप्रदेश तीरंदाजी एकेडमी जबलपुर में एक छोटी सी ‘मुस्कानÓ आई। पहली बार जब धनुष हाथ में उनके आया, तो तरकश पर तीर भी ठीक से नहीं बैठ रहा था, लेकिन मुस्कान डटी रहीं। इसके बाद एक दिन लक्ष्य सटीक लगा और मुस्कान की सफलता की कहानी ने यहीं से रंग लेना शुरू कर दिया, जो अब पूरे देश और दुनिया में छा गया है। जबलपुर में सघन आबादी से घिरे साठिया कुआं के समीप रहने वाली १७ साल की मुस्कान किरार प्रदेश की इकलौती तीरंदाज बनीं, जिन्होंने जकार्ता में चल रहे एशियन गेम्स में चाइनीज खिलाड़ी तापसे को हराकर फाइनल में जगह बनाई और संस्कारधानी के साथ प्रदेश और देश का नाम रोशन किया। उन पर सभी को नाज है।

टीवी पर टिकी रहीं भाई की निगाहें
रविवार को रक्षाबंधन का दिन था। हर भाई की तरह मुस्कान के भाई वासु की भी इच्छा थी कि उसकी कलाई पर राखी सजे, लेकिन उसकी नजरें बहन के फाइनल में पहुंचने की राह भी तक रही थीं। इसकी खबर मिलते ही पूरा परिवार खुशी से झूम उठा।

बहन ने भी संजोया सपना
मुस्कान की छोटी बहन सलौनी भी तीरंदाजी की खिलाड़ी है। बड़ी बहन की तरह वह भी देश का नाम रोशन करने का ख्वाब संजोए हुए है। बड़ी बहन को टीवी स्क्रीन पर देखते हुए सलौनी कहती हैं, बड़ी दीदी से अभी बहुत कुछ सीख रही हूं। सलौनी ने हाल ही में भुवनेश्वर में हुई तीरंदाजी प्रतियोगिता में मेडल जीता है।

सवा दो साल पहले शुरुआत
मुस्कान के पिता वीरेन्द्र किरार बताते हैं, उन्होंने लगभग सवा दो साल पहले अखबार में तीरंदाजी के लिए खिलाडि़यों के चयन के लिए विज्ञापन देखा। इसके बाद मुस्कान को उस चयन प्रक्रिया में भेजा। भारतीय तीरंदाजी संघ के सह सचिव डीके विद्यार्थी ने बताया, चयनित होने के बाद मुस्कान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार उसके कदम ऊचांईयों की ओर बढ़ते रहे। बेटी की जीत से मां माला की आंखों में भी खुशी के आंसू छलक पड़े।

आठ अंतराष्ट्रीय, तीन राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं
कोच रिचपाल सिंह सरालिया ने बताया, दो वर्षों में मुस्कान ने उस मुकाम को हासिल किया, जिसे पाने में खिलाडि़यों को वर्षों लग जाते हैं। मुस्कान ने आठ अंतराष्ट्रीय और तीन राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और मेडल जीते। दो माह पहले मुस्कान जर्मनी गई थी, जहां से लौटने के बाद सोनीपथ में उसने दो माह तक कड़ा प्रशिक्षण हासिल किया और फिर एशियन गेम्स के लिए जकार्ता रवाना हो गईं।

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