scriptयहां के बासमती चावल, सिंघाड़ा, मटर दुनियाभर में बढ़ाते हैं किचिन का स्वाद | Basmati rice, water chestnuts and peas increase the taste of the kitch | Patrika News
जबलपुर

यहां के बासमती चावल, सिंघाड़ा, मटर दुनियाभर में बढ़ाते हैं किचिन का स्वाद

यहां के बासमती चावल, सिंघाड़ा, मटर दुनियाभर में बढ़ाते हैं किचिन का स्वाद
उर्वरा धरा पर प्रोसेसिंग यूनिट का खत्म नहीं हो रहा इंतजार, अन्नदाता को नहीं मिलता सही दाम
जबलपुर। नर्मदा बेसिन की उर्वरा धरा में बासमती धान, हरे स्वादिष्ट मटर, सिंघाड़ा का बंपर उत्पादन हो रहा है। यहां का अन्न दुनियाभर के किचिन का स्वाद बढ़ा रहा है। लेकिन अन्नदाता को आज भी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। उसे अपनी उपज औने-पौने दाम बेचना पड़ता है।

जबलपुरJan 20, 2020 / 11:51 am

Prabhakar Mishra

basmati rice

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दरअसल पर्याप्त संख्या में कोल्ड स्टोरेज व प्रोसेसिंग यूनिट न होना बड़ी समस्या है। दरअसल यहां प्रोसेसिंग यूनिट का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। बासमती धान, सिंघाड़ा, मटर व अच्छी गुणवत्ता के फल उत्पादन के लिए अलग पहचान बना रहे शहपुरा-पाटन क्षेत्र में प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की लंबे समय से मांग उठती रही है।
किसान राज नारायण भारद्वाज का कहना है अगर अनाज, सिंघाड़ा, फल की प्रोसेसिंग यूनिट पर्याप्त संख्या में स्थापित हों तो किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिलने लगेगा। लेकिन इस दिशा में आज तक सकारात्मक प्रयास नहीं हुए। ऐसे में अन्नदाता का ये दर्द इस बार प्रोसेसिंग यूनिट की कमी चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं सच्चाई-सिंघाड़ा-

-250 हेक्टेयर उत्पादन क्षेत्र

-500 से ज्यादा किसान जुड़े हैं कारोबार से

-सिहोरा मंडी से राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, मुंबई, भुसावल, जलगांव की मंडियों में जाता है
-सिहोरा मंडी में पन्ना, दमोह, कटनी, खजुराहो से भी आता है सिंघाड़ा

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हरा मटर-

-40 हजार हेक्टेयर में उत्पादन

-40 क्विंटल तक प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन

-50 से लेकर 80 रुपए किलो तक सीजन की शुरुआत में होती है बिक्री
-10 प्रतिशत के लगभग उत्पादन कम हुआ मौसम की मार के कारण इस बार

-उत्पादन ज्यादा होने पर नहीं मिलते वाजिब दाम

-महाराष्ट्र, गुजरात, हैदराबाद, छत्तीसगढ़ मंडी तक सीधी मांग

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फल उत्पादन-

-16 हजार हेक्टेयर के लगभग फलदार पौधों का रकबा

-5 हजार हेक्टेयर में आम उत्पादन

-7 हजार हेक्टेयर में अमरूद उत्पादन

-4 हजार हेक्टेयर में कटहल, नींबू, अनार, केला, चीकू, एपल बेर, सीता फल व अन्य
-आम में दशहरी, चोंसा, लंगड़ा, सुंदरजा, फजली, अचार का आम का होता है उत्पादन

-अमरूद में सफे दा, इलाहाबादी, लखनऊ 49

-2200 हेक्टेयर में फलों का उत्पादन और बढ़ाने का लक्ष्य

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धान का उत्पादन एक नजर-

-शहपुरा-पाटन बासमती धान के बड़े उत्पादक

-दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हैदराबाद के व्यापारी खलिहान से ले जाते हैं धान

-70 हजार क्विंटल बासमती धान पिछले साल दूसरे राज्यों में ले जाई गई
-पुलाव व बिरयानी बनाने के लिए चावल का उपयोग

-सऊ दी अरब, कुवैत, कतर, ओमान समेत कई और देशों में निर्यात

-2 लाख 13 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई पिछले सालऐसे मिले दाम
-धान की किस्म, उपयोग, एकड़ में उत्पादन, बाजार में मिले दाम

-1121 बासमती, चावल, पुलाव, बिरयानी बनाने में, 14 से 15, 2500-3000,

-एचएमटी, चावल, पुलाव, 18 से 20, 1800-2000,

-क्र ांति, पोहा, मुरमुरा, चावल से इडली, डोसा, 20 से 22, 1400-1450,
-6444 हायब्रिड, मोटा चावल, 25 से 30, 1500-1550

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वर्जन-

मटर प्रोसेसिंग की दो यूनिट उमरिया डुंगरिया व शहपुरा से पाटन मार्ग पर संचालित हो रही हैं। मटर, सिंघाड़ा की बड़ी प्रोसेसिंग व राइस मिल स्थापित हों इसके लिए विभाग की ओर से निवेशकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यूनिट लगाने के लिए निवेशक आगे आते हैं तो उन्हें शासन की योजना के अनुसार विभाग की ओर सब्सिडी भी दी जाएगी।
एसबी सिंह, उप संचालक, उद्यानिकी विभाग

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