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जबलपुर

Vijayadashami 2021 पर सिंदूर खेला के बाद सजल नेत्रों से माता रानी को दी विदायी

-सिटी बंगाली क्लब में महिलाओं माता रानी को लगाया सिंदूर फिर आपस में एक दूसरे संग खेला सिंदूर खेला-Vijayadashami 2021 पर बंगाली समाज ने माता रानी को दी विदायी

जबलपुरOct 15, 2021 / 05:35 pm

Ajay Chaturvedi

विजयादशमी पर पूजा पंडाल में सिंदूर खेला

विजयादशमी पर पूजा पंडाल में सिंदूर खेला

जबलपुर. Vijayadashami 2021 पर पूजा पंडालों में सिंदूर खेला खेला गया। खास तौर पर बांग्ला पूजा पंडालों में महिलाओं ने एक-एक कर मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया। फिर एक दूसरे को सिंदूर लगाया। उसके बाद सजल नेत्रों से मां को विदा किया।
विजया दशमी पर सिंदूर खेला
विजयादशमी के मौके पर यूं तो पूरे शहर में उल्लासपूर्म माहौल रहा। इसी कड़ी में सिद्धी बाला बोस लाइब्रेरी एसोसिएशन के तत्वावधान में सिटी बंगाली क्लब में आयोजित दुर्गा पूजा पंडाल में पूजा के अंतिम दिन बांग्ला महिलाओं ने सिंदूर खैला का आयोजन किया। इसके लिए बंगाली महिलाएं सज-धज कर खास तौर पर महिलाओं ने लाल किनारे वाली साड़ी पहन रखी थी।
सुबह से दशमी पूजा और अंजलि के बाद सिंदूर उत्सव या सिंदूर खैला की शुरुआत हुईं जहां महिलाओं ने मां दुर्गा को पहले सिंदूर अर्पित किया और बाद में सुहागन महिलाओं ने एक- दूसरे को सिंदूर लगाकर सुख-सौभाग्य की कामना की। ऐसी मान्यता है कि माता का यह सिंदूर लगाने से सुहाग बना रहता है। परिवार कें सुख-संपन्नता आती है। सिंदूर को मां का आशीर्वाद माना जाता है।
बता दें कि बंगाली समाज में दशहरा का उत्सव महिलाएं पूरे जोश-ओ-खरोश से मनाती हैं। दशमी जुलूस के साथ महिलाएं भी पारंपरिक परिधान में तैयार होकर मां को विदाई देती है। ढाक-धुनुचि संग नृत्य करती हुईं महिलाएं खुशी-खुशी मां को यह कहकर विदा करती हैं कि जैसे इस बार अच्छे से मां आप आईं, वैसे ही ढेरों खुशियों संग अगले वर्ष भी आएं।
महिलाओं ने बताया कि बंग समाज में सिंदूर उत्सव का इंतजार सभी सुहागन महिलाओं को रहता है। यह एक तरह से मां का आशीर्वाद होता है, जिसे हर सुहागन महिला पाना चाहती है। वैसे भी दुर्गा पूजा के लिए बंग समाज में चार से पांच दिनों तक नए कपड़े पहने जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। कोरोना के कारण बीते वर्ष सिंदूर खैला नहीं हो पाया था। इस वर्ष सभी ने बहुत उत्साह पूर्वक सिंदूर खेला मनाया। माथे से लेकर गालों और पूरे चेहरे पर सिंदूर लगाकर शुभकामनाएं दीं।

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