गौरतलब है कि रूस निर्मित टी-90 टैंक भारतीय सेना के आक्रामक हथियारों का एक बड़ा आधार माना जाता है। जानकारों के अनुसार रूस से 650 से ज्यादा टैंक लेने के बाद देश में ही इनका निर्माण किया जा रहा है। इसे अपग्रेड भी किया जा रहा है। इसलिए इसमें लगने वाले कलपुर्जे देश में ही विकसित किए जा रहे हैं। फैक्ट्री सूत्रों ने बताया कि जीआईएफ ने 15 से अधिक ढलाई वाले आइटम विकसित किए हैं। इन पाट्र्स को जनरल मैनेजर इंसपेक्शन के बाद तमिलनाडु स्थित एचवीएफ भेजे गए थे। फैक्ट्री को इनमें से दो पाट्र्स का क्लीयरेंस मिला है। ऑर्डर मिलते ही फैक्ट्री में पाट्र्स की ढलाई शुरू हो जाएगी। संभावित ऑर्डर को देखते हुए जीआईएफ में इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
बढ़ेगी मारक क्षमता
46 टन से ज्यादा वजनी टी-90 टैंक को आधुनिक बनाने के लिए कई बदलाव किए जा रहे है। इसे तीसरी पीढ़ी के मिसाइल सिस्टम से भी लैस किया जा रहा है, जिससे मारक क्षमता में इजाफा हो सके।
46 टन से ज्यादा वजनी टी-90 टैंक को आधुनिक बनाने के लिए कई बदलाव किए जा रहे है। इसे तीसरी पीढ़ी के मिसाइल सिस्टम से भी लैस किया जा रहा है, जिससे मारक क्षमता में इजाफा हो सके।
दूसरे आइटम भी किए तैयार
जीआईएफ ने टी-90 टैंक के अलावा बीएमपी-2 वीकल के लिए भी कुछ कलपुर्जे तैयार किए हैं, जिन्हें टेस्टिंग के लिए भेजा गया है। इसके अलावा एल-70 गन के लिए भी कुछ कलपुर्जों की कास्टिंग की गई है।
तीसरी पीढ़ी का युद्धक टैंक
टी-90 एस टैंक दरअसल रूस से आयातित टैंक है। अर्जुन टैंक की तरह यह तीसरी पीढ़ी का अत्याधुनिक युद्धक टैंक है। जानकारों ने बताया कि वर्ष 2004 में जब भारतीय सेना में इसे शामिल किया गया तब इसका नाम भीष्म रखा गया। अब इसका देश में ही उत्पादन किया जा रहा है। इससे 100 मीटर से 4 किमी तक की दूरी पर दुश्मन के टैंक को निशाना बनाया जा सकता है। 1 हजार ब्रीड हार्सपावर इंजन वाले इस टैंक से गोले के साथ ही मिसाइल भी दागी जा सकती हैं ।
जीआईएफ ने टी-90 टैंक के अलावा बीएमपी-2 वीकल के लिए भी कुछ कलपुर्जे तैयार किए हैं, जिन्हें टेस्टिंग के लिए भेजा गया है। इसके अलावा एल-70 गन के लिए भी कुछ कलपुर्जों की कास्टिंग की गई है।
तीसरी पीढ़ी का युद्धक टैंक
टी-90 एस टैंक दरअसल रूस से आयातित टैंक है। अर्जुन टैंक की तरह यह तीसरी पीढ़ी का अत्याधुनिक युद्धक टैंक है। जानकारों ने बताया कि वर्ष 2004 में जब भारतीय सेना में इसे शामिल किया गया तब इसका नाम भीष्म रखा गया। अब इसका देश में ही उत्पादन किया जा रहा है। इससे 100 मीटर से 4 किमी तक की दूरी पर दुश्मन के टैंक को निशाना बनाया जा सकता है। 1 हजार ब्रीड हार्सपावर इंजन वाले इस टैंक से गोले के साथ ही मिसाइल भी दागी जा सकती हैं ।