READ ALSO : यहां भाजपा-कांग्रेस में ही होती है सीधी टक्कर, और कोई नहीं लगा पाता सेंध
यह है मामला
बैतूल जिले की मुलताई तहसील के चौथिया ढाना के पास बोंदरू पारधी व उसकी पत्नी डोडलबाई की मृत्यु की जांच के बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 8 अभियुक्तों के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत विशेष न्यायाधीश सीबीआई की अदालत के समक्ष चालान प्रस्तुत किया था। विचारण के दौरान कुछ पारधियों के कथनों के आधार पर फरियादी द्वारा धारा 319 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत एक आवेदन-पत्र पांसे सहित अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध उन्हें भी सह अभियुक्त बनाए जाने की मांग के साथ प्रस्तुत किया गया था। सीबीआई कोर्ट जबलपुर ने 12 सितम्बर 2018 को मंत्री पांसे व अन्य की उपस्थिति के लिए समंस जारी किए । समंस के मद्देनजर पांसे ने अग्रिम जमानत अर्जी दायर की।
READ ALSO : लोकसभा चुनाव 2019 से पहले भाजपा के गढ़ में दिग्विजय सिंह ने लगाई सेंध, संत से आशीर्वाद मांगा- देखें वीडियो
तर्क : पहले नहींं थे आरोपी
वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे व प्रमोद ठाकरे ने तर्क दिया कि पारधी हत्याकांड में आवेदक को पहले आरोपी नहीं बनाया गया था। इसके अलावा अनुसंधान में उनकी कोई आवश्यकता नहीं है, ऐसे में अग्रिम जमानत दी जा सकती है। मौजूदा परिस्थिति में आवेदक को विचारण न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर अपना बचाव करना है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने मंत्री पांसे को विचारण न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने अथवा गिरफ्तार होने की दशा में 50 हजार रुपए की सक्षम जमानत व मुचलके पर छोडऩे का निर्देश दिया।