यहां स्थापित हो प्रतिमा
शंकराचार्य ने कहा कि मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ओंकारेश्वर में आदिशंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं। इसका औचित्य समझ में नहीं आता। आदि शंकराचार्य ने नरसिंहपुर जिले के सांकल गांव में गुरु ? दीक्षा ली थी। इसके साक्ष्य गजेटियर में मौजूद हैं तो फिर आद्य शंकराचार्य की प्रतिमा यहां सांकल, आदेगांव में क्यों नहीं की जा रही है। यह एक धार्मिक स्थल है। वहीं उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरयू तट पर प्रभु श्रीराम की ५० फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं। भगवान मंदिर में ही शोभा देते हैं।
दीक्षा स्थली है सांकलघाट
शंकराचार्य ने आरोप लगाया कि मप्र सरकार धार्मिक साजिश कर रही है। नरसिंहपुर के सांकलघाट में आज भी वह गुफा है, जहां आदि शंकराचार्य ने गुरुदीक्षा ली थी। यहीं पर उन्होंने नर्मदाष्टक की रचना की थी। यह उनकी तपोस्थली रही, वहीं सरकार द्वारा ओंकारेश्वर को उनकी तपोस्थोली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। सनातन धर्मियों को भ्रमित होने से बचाने के लिए आदिशंकराचार्य के मंदिर का भूमि पूजन किया गया है।
बनेगा भारतीय शैली का मंदिर
शंकराचार्य ने कहा कि सांकलघाट स्थित शंकराचार्य की दीक्षा स्थली व तपोस्थली सनातन धर्म के अनुयायियों की धरोहर है। यहां एक साल के भीतर दक्षिण भारतीय शैली के मंदिर का निर्माण हो जाएगा। यह विशेष तीर्थ के रूप में जाना जाएगा। इस अध्यात्मिक गुफा में पानी रिसता है, सरकार से मरम्मत कार्य कराने या इसकी अनुमति देने की मांग की जा रही है। उज्जैन में भगवान श्रीकृष्ण का विद्या स्थली संदीपनी आश्रम है। मप्र जगद$गुरुओं का गुरू है। वरिष्ठ महाधिवक्ता आदर्श मुनि त्रिवेदी ने भी कहा कि यदि सरकार आदि शंकराचार्य को सम्मान ही देना चाहती है, तो उनकी प्रतिमा उनकी दीक्षा व तपोस्थली पर ही लगना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इसका गौरव व महत्व समझ सके।
गुजरात में है राम मंदिर का धन
अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि निर्माण का रास्ता न्यायालय से प्रशस्त होगा। किसी भी पार्टी की सरकार हो, संविधान के अनुसार वो धर्मनिरपेक्ष होती है, मंदिर नहीं बना सकती है। मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने रामालय ट्रस्ट बनाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि श्री राम जन्म भूमि न्यास ने मंदिर के शिलान्यास व अन्य कार्यों के जो धन एकत्र किया है, वो गुजरात के एक पटेल के पास था, इसका हिसाब मांगा जाएगा।