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जबलपुर

किसानों की आय बढ़ाने की ओर बड़ा कदम, जलाऊ लकड़ी वाले पेड़ों पर भी होगी लाख की खेती

राज्य वन अनुसंधान संस्थान कर रहा सर्वे, पांच गांवों का चयन

जबलपुरApr 25, 2019 / 07:01 pm

abhishek dixit

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जबलपुर. खेतों की हदबंदी और जलौनी के पेड़ों (कुसुम, पलाश, बेर सहित अन्य प्रजाति के पेड़) पर भी अब लाख की खेती होगी। ऐसे किसानों को लकड़ी के साथ लाख उत्पादन का भी लाभ मिलेगा। राज्य वन अनुसंधान संस्थान के लाख प्रोजेक्ट के लिए सर्वे कर ऐसे गांवों का चयन किया जा रहा है, जहां लाख उत्पादन के लिए उपयोगी पेड़ उपलब्ध हैं। इन गांवों में 26 अप्रैल से पेड़ों की क्लोनिंग की जाएगी। जून-जुलाई में पेड़ों पर लाख के कीट लगाए जाएंगे। चार महीने बाद उत्पादन प्राप्त होने लगेगा। लाख उत्पादन के बाद पेड़ों की टहनियां जलाने के काम आएंगी। सर्वे में परम्परागत प्रजातियों के अलावा जंगलों में सीताफल, गूलर, खैर, पीपल, बरगद, आकाशमोनी, पाकड़ के पेड़ों पर भी लाख उगने के साक्ष्य मिले हैं। अभी तक जंगलों में प्राकृतिक तौर पर बनने वाली लाख को निकालकर आसपास के लोग बेचते थे। अब खेत खलिहानों में लगे पेड़ों पर लाख की खेती का प्रशिक्षण लेकर किसान अपनी आय बढ़ा सकेंगे।

150 किसान तैयार
जबलपुर के पनागर क्षेत्र के डोंगर, बराड़े, मंडला में मनेरी के पास कोहानी, निवास के पास जवेदा, सुखरी और काल्पी गांव के किसान लाख की खेती के लिए तैयार हुए हैं। प्रत्येक गांव से 30-30 किसान लाख की खेती के लिए तैयार हैँ। संस्थान के लाख विशेषज्ञ किसानों को चयन कर लाख की खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्हें लाख के कीट भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

पेड़ों पर लगाएंगे रंगीनी लाख के कीट
विशेषज्ञों ने बताया, कुसुम, बेर के पेड़ों पर कुसुमी और पलाश के पेड़ों पर रंगीनी लाख के कीट लगाए जाएंगे। पलाश के एक पेड़ पर 8-10 किग्रा, बेर पर 5-6 किग्रा और कुसम के एक पेड़ पर 10-12 किग्रा लाख का उत्पादन हो सकता है।

सर्वे में जिन गांवों में लाख उत्पादन के लिए उपयोगी पेड़ मिले हैं, वहां के किसानों को जागरूक कर लाख उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पांच गांवों के लोग लाख की खेती शुरू कर रहे हैं।
डॉ. प्रतिभा भटनाकर, पीआइ, लाख प्रोजेक्ट, राज्य वन अनुसंधान संस्थान

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