दूसरे वार्ड के उम्मीदवारों को भी टिकट दिया, नेताओं के परिवार को भी मिले टिकट
भाजपा ने अपने ही नियमों पर चलाई कैची
भाजपा के पार्षद उम्मीदवारों की सूची लम्बे इंतजार के बाद जारी हुई, तो कई ऐसे नामों पर भी मुहर लगी, जो रेस में नहीं थे। कई ऐसे नाम कट गए जो चर्चा में थे। पार्टी की गाइड लाइन दरकिनार हो गई। जो जिस वार्ड का है उस वार्ड से टिकट का फार्मूला फेल हो गया। अग्रसेन वार्ड में तो टिकट घोषित करने के तीन घंटे बाद बदल दी गई। वहीं नेतापुत्र सहित नेताओं की पत्नियों व परिवार के सदस्यों को भी टिकट दिए गए। महिलाओं के लिए आरक्षित वार्ड में महिला नेत्रियों को टिकट नहीं दिए जाने पर महिला उम्मीदवारों में नाराजगी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार मुख्यालय से आई गाइड लाइन पर लम्बे समय से रार रही। एक ओर पार्टी की ओर से किसी भी वार्ड में बाहरी उम्मीदवार को टिकट नहीं देने की गाइड लाइन थी परंतु अपील समिति ने ही इस गाइड लाइन को दरकिनार कर दिया।
नाम कटने के बाद फिर जुड़ा
मध्य विधानसभा के महाराजा अग्रसेन वार्ड से पहले कमलेश अग्रवाल का नाम चर्चा में था। लेकिन पार्टी ने जो सूची जारी की थी उसमें समर्थ तिवारी को उम्मीदवार बनाया था। समर्थ उसी वार्ड के निवासी हैं। तीन घंटों बाद ही पार्टी की अपील समिति ने समर्थ का टिकट काट दिया। अपील समिति ने जो संशोधन किया उसमें केंट विधानसभा के अंतगर्त रहने वाले महापौर की दौड़ में शामिल रहे कमलेश अग्रवाल को यहां से टिकट दिया गया। टिकट बदलने के बाद विरोध भी हुआ।
पार्टी के वरिष्ठ नेता इस पर कोई जवाब भी नहीं दे सके। विरोध के बाद भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस वार्ड से बाहरी उम्मीदवार, चितरंजन वार्ड से भी बाहरी उम्मीदवार को टिकट दिया गया। उधर पूर्व विधानसभा से पूर्व विधायक अंचल सोनकर के पुत्र को टिकट दिया गया। केंट विधानसभा के सिविल लाइंस निवासी जय सचदेवा को पूर्व विधानसभा की द्वारका प्रसाद मिश्र वार्ड से टिकट दिया गया है। आधा दर्जन वार्ड ऐसे थे जहां पर महिला मोर्चा के माध्यम से राजनीति करने वाली नेत्रियां टिकट की दौड़ में थी और उनकी उम्मीद टूट गई।
कुछ वार्डो में नए चेहरों को मौका
चुनाव में लगभग 15 फीसदी ऐसे युवा चेहरे हैं जो पहली बार चुनाव मैदान में हैं। इनमें से अधिकांश अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता व युवा मोर्चा में रह चुके हैं। वहीं कई वार्डों में नए चेहरे भी हैं।