यह है मामला
भोपाल निवासी पत्रकार राकेश दीक्षित ने चुनाव याचिका दायर कर भोपाल लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के निर्वाचन को चुनौती दी। आरोप लगाया गया कि साध्वी ने चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार यह बयान दिया कि कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने भगवा आतंकवाद कहकर हिन्दू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की। चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी ने धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले बयान दिए। भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि उसे बाबरी मस्जिद तोडऩे पर गर्व है, वह खुद मस्जिद को तोडऩे के लिए गई थी। इस तरह की भड़काऊ बयानबाजी के चलते लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने भी साध्वी पर 72 घंटे का प्रतिबंध लगाया था। इस आरोप के समर्थन में साध्वी के बयानों के सीडी व अखबारों में प्रकाशित समाचारों की कटिंग संलग्न की गई। अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव, राजेन्द्र गुप्ता, दिनेश उपाध्याय, शफीक गौहर ने तर्क दिया कि चुनाव के दौरान धार्मिक भावनाएं भड़काना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (ए) (बी) के तहत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है।
यह जताई गई आपत्ति
वरिष्ठ अधिवक्ता पीके कौरव व अधिवक्ता अजय कुमार शुक्ला की ओर से शुक्रवार को आवेदन पेश कर कहा गया कि उक्त बयानों की रिकार्डिंग किसने की यह स्पष्ट नहीं किया गया। ये सभी बयान विभिन्न टीवी चैनलों से लिए गए। यू-टयूब पर इन्हें अपलोड करने वाले का प्रमाणपत्र भी नहीं पेश किया गया। लिहाजा यह साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 ए के खिलाफ और ग्रहणीय नहीं है। इस पर कोर्ट ने अपना आदेश बाद में सुनाने की व्यवस्था दी। कोर्ट ने चुनाव याचिका के चलते सील की गई ईवीएम व वीवीपैट मशीनें भी रिलीज करने का निर्देश दिया।