इस सर्वे के तहत शहर के अलग-अलग क्षेत्रों से लोगों के खून के नमूने एकत्र किए जाएंगे और उन नमूनों की जांच कर प्रति व्यक्ति रोग प्रतिरोधक क्षमता की जांच होगी। दरअसल स्वास्थ्य महकमा यह जानने में लगा है कि कोरोना संग लड़ाई के बीच जिले में कोरोना संक्रमण का कितना खतरा है और लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कितनी विकसित हुई है। इस तरह के सर्वे को आइसीएमआर एनआइआरटीएच ने सीरो सर्वे नाम दिया है।
बताया जा रहा है कि सीरो सर्वे के दौरान शहर के करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे। सबसे बड़ी बात ये कि इस सर्वे में उन लोगों को शामिल किया जाएगा तो देखने में स्वस्थ नजर आ रहे हैं। रक्त के सीरम की जांच के बाद यह पता चल सकेगा कि संबंधित व्यक्ति कोविड-19 के हमले का शिकार हुए हैं तो उनकी रोग प्रतिरोधक तंत्र ने किस प्रकार प्रतिक्रिया दी है। ऐसे लोगों के रक्त में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का विकास हुआ अथवा नहीं। इससे हर्ड इम्युनिटी का पता चल सकेगा। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि जियो टैग के जरिए सैंपल लेने के लिए लोगों का चयन किया जाएगा। इस सर्वे से सर्दी- जुकाम, बुखार समेत कोरोना के अन्य संभावित लक्षण वाले लोगों को दूर रखा गया है।
बताया जा रहा है कि ऐसे लोग जो अब तक कोरोना पॉजिटिव नहीं हुए हैं, उनके सैंपल लिए जाएंगे। सैंपल लेने से पूर्व इसका भी पता लगाया जाएगा कि कोरोना संक्रमण काल में वे बुखार या अन्य संभावित लक्षण की चपेट में तो नहीं थे। कोरोना संक्रमित हो चुके तथा संभावित लक्षण वाले लोगों के सैंपल नहीं लिए जाएंगे। सैंपलिंग के लिए अलग-अलग उम्र के लोगों के प्रत्येक वार्ड से औसत 150-170 तथा कुल 10 से 12 हजार सैंपल लिए जाएंगे। इसके लिए विभाग ने 40 टीमें बनाई गई हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रत्नेश कुरारिया ने बताया कि इस सीरो सर्वे से यह पता लगाना आसान होगा कि शहर में लगभग कितनी आबादी कोरोना से संक्रमित हो चुकी है। दरअसल, देशव्यापी सीरो सर्वे की ताजा रिपोर्ट में 7 फीसद से ज्यादा वयस्कों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिली है। 10 साल से ज्यादा उम्र के हर पंद्रहवें यानी 6 फीसद से ज्यादा लोगों के पूर्व में कोरोना से संक्रमित होने का पता चला है।