याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस बयान को गैरजिम्मेदारी और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ बताया गया है। याचिका में दलील दी गई है कि राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद उक्त कानून देश मे हुआ लागू है। जिसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 जनवरी 2020 को कानून लागू करने नोटिफिकेशन कर दिया है। नियमानुसार राज्य को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नही है।
हाईकोर्ट ने प्राथमिक सुनवाई के बाद याचिका स्वीकर कर ली है। याचिका मामले में सरकार ने भी पक्ष रखा है। सरकार की ओर से कहा गया है कि सीएए को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं विचाराधीन हैं। सुप्रीम कोर्ट 22 फरवरी को सभी मामलों में स्ष्ट सुनवाई करेगा। मप्र हाईकोर्ट ने 2 मार्च को सुनवाई की अगली तारीख तय की है। याचिका अखिल भारतीय मलयाली संघ समेत 4 संस्थाओं ने जनहित याचिका दायर की है। इन संस्थाओं ने याचिका में मांग की है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने बयान पर नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से त्यागपत्र दें। इसके साथ ही मुख्य सचिव से कानून लागू करने अंडरटेकिंग लिए जाने की बात भी कही गई है।