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जबलपुर

ठंड के कारण रेल पटरियों में क्रेक की संभावनाएं, बढ़ाई गई निगरानी

नवंबर से जनवरी तक रहता है पटरियों में क्रेक का खतरा

जबलपुरNov 15, 2019 / 06:40 pm

virendra rajak

Railway: 13 सौ करोड़ रुपए की रेल परियोजना को लगा ग्रहण, यह है वजह

Railway: 13 सौ करोड़ रुपए की रेल परियोजना को लगा ग्रहण, यह है वजह

जबलपुर. ठंड बढऩे के साथ ही रेल ट्रैक में फ्रेक्चर (पटिरयों में क्रेक आना) की संभावनाएं भी बढऩे लगी हैं। क्रेक फ्रेक्चर हो जाने के कारण कई बार ट्रेने बड़े हादसे का शिकार हो जाती हैं। ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए जबलपुर रेल मंडल ने तैयारियां शुरू कर दीं हैं। ट्रैकमैन, पेट्रोलमैन और चाबी मैन को जहां अलर्ट मोड़ पर रखा गया है। वहीं उनकी सहायता के लिए ठेका श्रमिकों को भी तैनात किया जा रहा है।
ये मामले आए थे सामने
केस:- 01
दिन- 28 नवंबर 2018
मामला :- शोभापुर रेल फाटक से अधारताल स्टेशन के बीच 995/2 किमी पर पटरी में क्रेक आ गया। जिसके बाद उस ट्रैक पर आने वाली 11084 महानगरी एक्सप्रेस को पीछे के स्टेशन पर रोका गया। तत्काल वहां सुधार कार्य किया गया।
केस:- 02
दिनांक:- नवंबर 2018
मामला:- कछपुरा के पास रात के वक्त पटरी में क्रेक आ गया था। इसकी जानकारी तत्काल आला अफसरों को दी गई। बाद में ट्रेन को दूसरे ट्रैक से निकाला गया। लगभग तीन से चार घंटे सुधार कार्य चलता रहा।
रातभर ट्रैक पर रहते हैं ट्रैकमैन
ठंड में पटरियों में क्रेक आने के मामले आम हैं, इसलिए ठंड बढऩे के साथ ही पटरियों में गश्त बढ़ा दी जाती है। टॉर्च की रोशनी में पेट्रोलमैन 10 से 16 किलोमीटर का सफर पैदल तय करते हैं और इस दौरान पूरी पटरी को बारीकी से देखा जाता है, यदि कहीं भी कोई भी संशय हुआ, तो जांच के बाद आला अधिकारियों को यह पेट्रोलमैन सूचना दे देते हैं।
जीपीएस से कंट्रोल को सूचना
ट्रैकमैनों को जीपीएस सिस्टम दिया गया है। यदि कहीं कोई क्रेक नजर आए, तो वे वहां से कंट्रोल को सीधे मैसेज भेज सकते है। यह मैसेज कंट्रोल को उस जगह की जानकारी देगा, जहां क्रेक हुआ है। जिसके बाद ट्रेनों को कॉशन आर्डर पर निकालने या उन्हें रोकने की कार्रवाई कंट्रोल द्वारा की जा सकती है।
फैक्ट
– दो-दो के गु्रप में करते हैं पेट्रोलिंग
– एक गु्रप के पास अधिकतम 16 किलोमीटर का जिम्मा
– वॉकी टॉकी व संचार साधन रहते हैं मौजूद
– ट्रैक पर चलने के लिए रेडियम वाली जैकेट
– हाईरेजुलेशन वाला टॉर्च
– लोहे के अन्य छोटे उपकरण
ऐसे करते हैं जांच
– पटरियों पर टॉर्च की रोशनी मारकर
– पटरियों पर जगह-जगह हथौड़ी मारकर
– क्रैक समझ में आने पर हाथ से छूकर
– तत्काल कंट्रोल को देते हैं सूचना
– समपार गेट पर भी सूचना देने की जिम्मेदारी
यह भी होती है जिम्मेदारी
– पटरी के आसपास की घास को हटाना
– पटरी व उसके के आसपास पैकिंग
– चाबी की जांच
वर्जन
नवंबर से फरवरी तक ठंड के चलते ट्रैक क्रैक के होने की संभावनाएं रहती हैं। क्रैक का समय रहते पता चले और कोई घटना न हो, इसके लिए सभी को अलर्ट किया गया है। ट्रैक पर गश्त और निगरानी भी बढ़ा दी गई है।
मनोज सिंह, मंडल रेल प्रबंधक, जबलपुर मंडल

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