आर्मी स्कूल की काउंसलर जोगेंद्री पठारिया का कहना है, जबलपुर के ९० प्रतिशत से ज्यादा बच्चे कम उम्र से ही कोङ्क्षचग जाते हैं। स्कूल में घंटों पढ़ाई के बाद कोचिंग की पढ़ाई और फिर पैरेंट्स का दबाव। ऐसे में बच्चों में तनाव बढ़ता है। होमसाइंस कॉलेज ह्यूमन डवलपमेंट डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ.आभा तिवारी का कहना है, बच्चों पर पढ़ाई और मल्टी टास्किंग का अनावश्यक बोझ नहीं डालना चाहिए। बच्चों की पसंद का ख्याल रखना चाहिए। पूर्व प्राथमिक प्रशिक्षण संस्थान की वरिष्ठ शिक्षिका शिबानी चटर्जी कहती हैं, स्कूल में शिक्षकों की भी जिम्मेदारी अहम होती है। बच्चों को अनुशासन का महत्व स्नेह और उदाहरणों से समझाया जा सकता है।
ऐसे खो रहे बचपन
टीवी और गैजेट्स की लत
मनोरंजन के नाम पर बच्चे टीवी और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के आदी हो गए हैं। इनसे कई बार वे गलत संगत और अधपका ज्ञान हासिल कर नैतिकता से परे जा रहे हैं।
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बड़ों का बिहेवियर
बड़ों को देखकर ही बच्चे कई बातें सीखते हैं। ऐसे में घर के हर सदस्य को अपना व्यवहार शालीन और बच्चों के मन मस्तिष्क को बेहतर बनाए जाने की कोशिश की जानी चाहिए।
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कम्युनिकेशन गैप
पैरेंट्स को अच्छा-खासा समय अपने बच्चों को दिया जाना चाहिए। उनकी हर छोटी-छोटी सी बात पर गौर करना चाहिए। हर बात शेयर करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना होगा।
पढ़ाई का प्रेशर:
बच्चों पर अनावश्यक पढ़ाई और अन्य बातों का प्रेशर नहीं डालना चाहिए,जो उसकी रुचि से बाहर हो।
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मल्टीटास्किंग
मल्टी टैलेंट एक नैसर्गिक गुण होता है। इसे दबाव से बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए और उसके रूझान का ख्याल रखना जरूरी है।
इनका रखे ध्यान
– घर का माहौल पॉजिटिव रखें। कभी बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़े न करें। गलत और गंदे शब्दों के प्रयोग से बचें। – टीवी देखने और गैजेट्स के उपयोग के लिए टाइम डिसाइड करें और उनके इसके उपयोग पर ध्यान रखें।
– पैरेंट्स उन्हें रोज का कम से कम दो घंटा दें। थोड़ा-बहुत खुद भी पढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए। – यदि अच्छा काम किया है तो सभी के सामने तारीफ करें। उन्हें एप्रीशिएट करें।
– अनावश्यक रूप से डांट-डपट से बचें। उन्हें सार्वजनिक रूप से न डांटे। – हर बच्चे का आईक्यू अलग होता है और इसे स्वीकारते हुए उसी के अनुरूप उसकी पढ़ाई-लिखाई और हॉबीज के लिए मोटीवेट करना चाहिए।
-बच्चों को महंगी चीजों का आदी नहीं बनाएं। उन्हें पैसे की वैल्यू समझाएं।