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जबलपुर

बढते संक्रमण के बीच कोरोना वारियर्स के लिए आगे आई कांग्रेस, की ये बड़ी मांग

-कांग्रेस की मांगः कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों का हो 50 लाख का बीमा

जबलपुरSep 24, 2020 / 02:33 pm

Ajay Chaturvedi

Congress demands martyr status for corona doctor after death

Congress demands martyr status for corona doctor after death

जबलपुर. कोरोना काल में जाने कितने कोरोना वारियर्स ने मरीजों के इलाज से लेकर उनकी देखभाल करते, कोरोना संक्रमण को रोकने के प्रयास में अपनी जान गंवा दी। हालांकि केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में ही अस्पतालों के ऊपर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा करवाई। इसमें कई राज्यो ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों का बीमा कराने की योजना भी लागू की गई। इसका लाभ कितनों को अब तक मिल पाया ये दीगर है। ऐसे में अब कांग्रेस ने कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों के लिए पहल की है।
कांग्रेस की मांग है कि कोरोना का इलाज करते किसी डॉक्टर की मौत होने पर उसे सेना के जवान की तरह शहीद का दर्जा दिया जाए। साथ ही ऐसे हर डॉक्टर का 50-50 लाख रुपये का बीमा कराया जाए। बता दें कि कोरोना वारियर्स को लेकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। वह ऐसे हर कोरोना वारियर्स की मदद की मांग उठा रहे हैं जो इस महामारी में फ्रंट पर रह कर काम कर रहा है, अपनी जान की परवाह किए बगैर।
ऐसे में कैंट ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष लखन ठाकुर, पूर्व पार्षद अमरचंद बावरिया, कैंट पार्षद कविता बावरिया आदि ने इस मुख्य मांग सहित अन्य मांगों को लेकर प्रशासनिक अधिकारी एडीएम मनीषा बास्कले को ज्ञापन दिया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि शहर के निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का इलाज करने के नाम पर बड़ी राशि ली जा रही है। शासन द्वारा जारी किए गए आयुष्मान कार्ड, मजदूरी कार्ड, बीपीएल कार्डधारी परिवारों का निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज होना चाहिए। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर में उपचुनाव के चलते शासकीय-निजी अस्पताल में कोरोना का मुफ्त इलाज और जबलपुर के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। शहर के सुखसागर अस्पताल को कोरोना के इलाज के लिए दोबारा शुरू किया जाए, जिससे कि 900 मरीजों को लाभ मिल सके। निजी अस्पतालों में कोरोना पीड़ितों से इलाज के लिए 5-10 लाख रुपये लिए जाते हैं, जिसे रोकने शासन सख्त नियम बनाए। निजी अस्पतालों को शासन का नियम नहीं मानने पर लायसेंस निरस्त करके कार्रवाई की जाए।
उन्होंने कहा कि वीआइपी व्यक्ति की कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट सिर्फ 24 घंटे में मिल जाती है, तो आम आदमी की जांच रिपोर्ट 7 दिन तक नहीं मिलती, ऐसा क्यों? इस व्यवस्था में तत्काल सुधारा लाया जाए।
ज्ञापन देने वालों में अभय बावरिया, जब्बार खान, चिंटू रजक, अजय शर्मा, रोहित अग्रवाल आदि शामिल रहे।

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