शहर में स्थिति
– 02 हजार से ज्यादा बेड सामान्य और बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए
– 11 सौ के करीब ऑक्सीजन बेड कोविड मरीजों के लिए अस्पताल में
– 02 सौ से ज्यादा नए कोरोना केस प्रतिदिन मिल रहे। 13 सौ एक्टिव केस
– 01 हजार से ज्यादा कोरोना संदिग्ध केस बने हुए है, इसमें गम्भीर भी हैं।
जनप्रतिनिधियों का सुझाव
– एक निजी चिकित्सा संस्थान में हजार प्लस बेड हैं। इसे तुरंत अनुबंधित कर कोविड डेडिकेटेड बनाया जाए।
– इसमें 40 के करीब आइसीयू के साथ साढ़े चार सौ के लगभग ऑक्सीजन बेड बनाने का प्रस्ताव दिया गया है।
– एनएससीबीएमसी मेडिकल कॉलेज के स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में तुरंत सुविधा जुटाकर इसे पूरी क्षमता से उपयोग करें।
– विक्टोरिया अस्पताल में ऑक्सीजन बेड और बढ़ाने के साथ ही वहां उपचार व्यवस्था को और बेहतर बनाया जाए।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सुविधाओं का विस्तार जरूरी है। अभी तक हम सरकार के साथ मिलकर इस महामारी से लड़ रहे थे। लेकिन, आम आदमी परेशान हो रहा है। इसलिए प्रशासन को उचित इंतजाम करना चाहिए। अस्पतालों में कोरोना का जरूरी इंजेक्शन तक नहीं है।
तरुण भनोत, कांग्रेस विधायक
कोरोना का संक्रमण सरकार से सम्भल नहीं रहा। मरीज अस्पताल में भटक रहे हैं। भोपाल और इंदौर की तर्ज पर जबलपुर में भी कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बनना चाहिए। हम शुरू से कह रहे हैं कि इस महामारी की रोकथाम के लिए गम्भीरता से काम किया जाना चाहिए।
लखन घनघोरिया, कांग्रेस विधायक
कोरोना का कम्प्लीट डेडिकेटेड हॉस्पिटल जरूरी है। शहर के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। भोपाल-इंदौर की तरह प्राइवेट अस्पताल को लेकर मरीजों का उपचार करने का प्रयास नहीं हो रहा है। छह माह से तैयारी क्यों नहीं की गई? इस पर गम्भीर विचार क्यों नहीं हुआ? इसका जवाब आना चाहिए?
संजय यादव, कांग्रेस विधायक
शहर में दो चिकित्सा संस्थान मिलाकर कोरोना मरीजों को दो हजार बेड मिल सकते हैं। दोनों संस्थान को कोरोना डेडिकेटेड हॉस्पिटल बनाने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने प्रिंसपल सेके्रटरी को कार्रवाई के निर्देशित करने की जानकारी दी है। डेडिकेटेड अस्पताल से मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा।
विनय सक्सेना, कांग्रेस विधायक
कोविड मरीजों को बेहतर उपचार और सुविधा सुनिश्चित की जा रही है। मुख्यमंत्री और कलेक्टर को पत्र लेकर कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल की जरूरत की जानकारी दी है। मरीजों को समस्या ना हो, इसलिए निजी संस्थान से अनुबंध कर बेहतर सुविधा देने के प्रयास हो रहे हैं।
अशोक रोहाणी, भाजपा विधायक
भोपाल-इंदौर की तरह बेहतर सेटअप वाला शहर में कोई निजी मेडिकल कॉलेज नहीं है। इसलिए निजी संस्थान को कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल नहीं बनाया जा सका। कैंसर सहित अन्य मरीज का उपचार भी जरूरी है, इसलिए मेडिकल के सारे बिस्तर कोविड के लिए देना सम्भव नहीं है।
अजय विश्नोई, भाजपा विधायक
कोरोना के इलाज के लिए सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास चल रहा है। हम संसाधन उपलब्ध करवा सकते हैं। निजी संस्थाएं जगह देने को तैयार हैं। मुख्य समस्या मेडिकल स्टाफ की है। अभी जो चिकित्सक इलाज कर रहे हैं, उनका अभिनंदन है। उन चिकित्सकों को भी सहयोग करना चाहिए जो अभी तक कोरोना के इलाज से जुड़े नहीं हैं।
राकेश सिंह, सांसद
कोरोना का संक्रमण जिस गति से शहर में बढ़ रहा है, उसमें सुविधाओं का विस्तार जरूरी है। उन्हें समय रहते हुए बढ़ाने की जरूत भी है। जहां तक प्रदेश के दूसरे शहरों की तरह जबलपुर में भी डेडिकेटेड अस्पताल का सवाल है, वह पहले हो जाना चाहिए था। इसका फायदा इलाज में होता। सरकार को जबलपुर पर भी ध्यान देना चाहिए।
विवेक तन्खा, सांसद, राज्यसभा