मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना संक्रमण से लड़ते हुए स्टाफ नर्स की हुई थी मौत
इलाज के दौरान भी वे साथी कोरोना मरीजों में संक्रमण से लडऩे का जज्बा जगाती रहीं। लेकिन, स्वयं संक्रमण से जंग हार गईं। उनकी असमय मौत पर न केवल साथी कर्मचारी, बल्कि वहां भर्ती मरीजों और उनके परिजन की आंखें भी नम हो गईं। कोरोना संकट काल में जब खून के रिश्ते भी दूर हो रहे थे, तब पूरे स्टाफ ने कॉलेज से विनीता को शहीदों की तरह विदा किया। जाते-जाते भी यह कोरोना योद्धा अपनी साथियों को संकट में एक साथ खड़े होने का हौसला दे गई।
ठीक होकर दोबारा वार्ड जाना चाहती थीं
विनीता की साथी नर्सों के अनुसार वे कोरोना वार्ड में कुशलतापूर्वक जिम्मेदारी सम्भाल रही थीं। जूनियर नर्सेस और स्टाफ को संक्रमण से बचाव के उपाय बतातीं और कोविड वार्ड में काम करने के लिए प्रोत्साहित करती थीं। वे कभी बीमार पड़तीं तब भी मरीज की मदद करने से पीछे नहीं हटीं। वे कोरोना को मात देकर दोबारा कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों की सेवा करना चाहती थीं, लेकिन नियति कुछ और ही चाहती थी।