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जबलपुर

अपराधी सोशल कॉल और चैटिंग से दे रहे सर्विलांस को मात

अपराधी अब सर्विलांस को मात देने के लिए सोशल कॉल और चैटिंग का सहारा ले रहे हैं। अपराधियों के इस बदले ट्रेंड ने पुलिस को तकनीकी रूप से कठिन चुनौती पेश की है।

जबलपुरJan 20, 2020 / 12:01 pm

santosh singh

Social Media

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जबलपुर. अपराधी अब सर्विलांस को मात देने के लिए सोशल कॉल और चैटिंग का सहारा ले रहे हैं। अपराधियों के इस बदले ट्रेंड ने पुलिस को तकनीकी रूप से कठिन चुनौती पेश की है। आलम ये है कि मोबाइल नम्बर को ट्रेस करने में जिस सर्विलांस सेल को महारत हासिल हो चुकी थी, अब नई चुनौती का तोड़ खोजने में पसीना बहाना पड़ रहा है। जिले में पिछले कुछ महीनों से सामने आए कई प्रकरणों में ये बात सामने आ चुकी हैं कि अपराधी ने पुलिस से बचने के लिए मोबाइल का प्रयोग ही बंद कर दिया था। बावजूद वे सोशल कॉल व चैटिंग से पुलिस की एक-एक गतिविधियों की खबर ले रहे थे।

केस-एक
23 नवम्बर 2019 नवम्बर को गोसलपुर में होटल संचालक ऋषि असाटी (28) की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। फरार आरोपी मास्टरमाइंड ऋषभ शर्मा और खाले मोहल्ला लोहारी निवासी आशीष काछी उर्फ राज पंडित को पुलिस ने 12 दिसम्बर 2019 को इंदौर से गिरफ्तार किया था। दोनों लगातार दोस्तों व परिजनों से वाट्सअप कॉल और चैटिंग करते थे।
केस-दो
30 नवम्बर 2019 को स्टेट सायबर सेल ने उमरिया जिले के पाली में रहने वाले 24 वर्षीय सौरभ चौबे को झारखंड के रांची से फॉरेंसिक एनालिसिस के आधार पर गिरफ्तार किया था। वह वाट्सअप कॉल करता था और लगातार अपना ठिकाना बदलता रहता था। सौरभ ‘एम-टू-मनी’ नाम के ई-वॉलेट बनाकर करोड़ों की ठगी का आरोपी था।
केस-तीन
09 दिसम्बर 2019 को स्टेट सायबर सेल ने पश्चिम बंगला, दिल्ली व झारखंड में ठगों को सिम बेचने वाले गिरोह का खुलासा किया। ये गिरोह फेसबुक पर ‘लुटियंस ब्वॉय ग्रुप’ व ‘श्री रिचार्ज बॉक्स’ नाम से सोशल ग्रुप बनाकर फर्जी नाम पर एक्टिवेट सिम बेचने का ऑर्डर लेते थे।

 

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IMAGE CREDIT: patrika

पुलिस को छका रहे अपराधी
पुलिस को ताजा चुनौती बरेला और गोराबाजार में सीरियल फायरिंग करने वाले आरोपी कजरवारा निवासी सतेंद्र मेहतो और बलवारा निवासी अज्जू पटेल दे रहे हैं। सतेंद्र हत्या के प्रयास में, तो अज्जू लूट के प्रकरण में फरार है। दोनों की गिरफ्तारी पर आईजी की ओर से 25 हजार का इनाम घोषित किया जा चुका है। बावजूद दोनों द्वारा मोबाइल का प्रयोग न किए जाने से सर्विलांस भी उनका लोकेशन नहीं ढंूढ़ पा रही है। दोनों ही वाट्सअप कॉल व चैटिंग के माध्यम से अपनों से जुड़े हुए हैं। इससे पूर्व भी कई अपराधी इसी का फायदा उठाकर पुलिस को छकाने में कामयाब रहे। नरसिंहपुर पुलिस के एनकाउंटर में ढेर हुआ गैंगेस्टर विजय यादव भी इसी तरह पुलिस की पहुंच से खुद को बचाने में कामयाब रहा था।
ये आती है चुनौती-
-सोशल नेटवर्क वाट्सअप, टेलीग्राम सहित अन्य कम्पनियों का मुख्यालय देश से बाहर है
-वाट्सअप कोई जानकारी नहीं देते हैं।
-वाट्सअप कॉल होने पर आईपी आदि निकाल कर किसी
-सोशल कॉल या चैटिंग का रिकॉर्ड भी नहीं मिल पाती है
-सिम ऑफ कर किसी दूसरे नम्बर से इंटरनेट का प्रयोग कर भी अपराधी सोशल कॉल करते हैं
-युवक-युवतियों के बीच भी सोशल कॉलिंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। गायब होने पर खोजने में मुश्किल आती है
वर्जन-
हार्ड कोर क्रिमनल सोशल नेटवर्क कॉल कर पुलिस को छका रहे हैं। इसी तरह नाबालिग लडक़े व किशोरी के गायब होने के मामले में भी सोशल कॉल व चैटिंग होने के बावजूद उनकी लोकेशन ढूंढऩे में परेशानी आती है। सोशल नेटवर्क पर निगरानी के लिए पॉलिसी की जरूरी है।
विपिन ताम्रकार, टीआई, स्टेट सायबर सेल

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