ऑनलाइन फाइलिंग में कोर्ट फीस बनी दिक्कत
जबलपुर•Feb 26, 2019 / 01:24 am•
shyam bihari
Land dispute big decision on satna court jamin vivad kyo hota hai
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट की महत्वाकांक्षी इ-फाइलिंग सुविधा का मॉड्युूल पूरी तरह तैयार है। लेकिन, सुविधा कारगर न होने के चलते कोर्ट की वर्किंग सौ फीसदी पेपरलेस नहीं हो पा रही है। 2017 में लागू योजना की राह में ऑनलाइन कोर्ट फीस जमा करने का अडंग़ा अटक गया है। इसमें इतनी दिक्कतें आ रही हैं कि ऑनलाइन कोर्ट फीस अनिवार्य करने की कटऑफ तारीख आठ महीनों से लगातार बढ़ाई जा रही हैं। एक बार फिर यह तारीख एक अप्रैल कर दी गई है। इसका खामियाजा दूरदराज के वकीलों, पक्षकारों को उठाना पड़ रहा है, जो अपना केस या आवेदन इ-फाइलिंग के जरिए घर बैठे दायर करना चाहते हैं।
ऑनलाइन कोर्ट फीस
विधि एवं विधायी कार्य विभाग के अनुमोदन के बाद हाईकोर्ट ने 27 नवम्बर 2017 को सुविधा शुरू की थी। ट्रायल के बाद पहली बार 15 दिसम्बर 2017 को ऑनलाइन कोर्ट फीस अनिवार्य करने का नोटिस जारी किया गया। 14 दिसम्बर 2017 को अनिवार्य करने की तारीख 15 जनवरी 2018 तय की गई। इसके बाद लगातार दस से अधिक बार ऑनलाइन कोर्ट फीस सुविधा अनिवार्य करने की तारीख बढ़ती चली गई। सुविधा शुरू होने के डेढ़ साल से अधिक अरसे के बाद भी अभी तक यह पूरी तरह लिटिगेंट फ्रेंडली (पक्षकार हित में) नहीं है।
सरकार के लिए अनिवार्य पर पक्षकार-वकील वंचित
21 जून 2018 को राज्य व केंद्र सरकार के अधीन विभाग, संस्थान, आयोग, उपक्रम के लिए ऑनलाइन कोर्ट फीस अनिवार्य कर दी गई। साफ आदेश जारी किए गए कि ऐसा न होने पर उनके मामले/आवेदन को डिफाल्ट में डाल दिया जाएगा। लेकिन, निजी पक्षकारों, वकीलों के लिए फिर छूट दे दी गई कि सर्वर डाउन होने, नेटवर्क की समस्या या अन्य तकनीकी समस्याओं की वजह से ऑनलाइन कोर्ट फीस का भुगतान न किए जाने की सूरत में वे आवेदन देकर ऑफलाइन जमा कर सकते हैं। इसकी सूचना सम्बंधित कोर्ट को आवेदन के साथ देने पर मामला/आवेदन डिफाल्ट में नहीं जाएगा। तीनों खंडपीठों में पीओएस मशीन बीते साल ही इंस्टाल हो गई हैं। इसके बावजूद अभी तक इस व्यवस्था को हर एक के लिए सुलभ व अनिवार्य नहीं किया जा सका है।
यह है स्थिति
प्रतिदिन होते हैं दायर 1000 से अधिक मामले-आवेदन
तीनों खंडपीठ में प्रतिदिन दायर होने वाले मामले-आवेदन—1000
मुख्यपीठ जबलपुर 500
खंडपीठ इंदौर 250
खंडपीठ ग्वालियर 250
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