कोशिश से सफलता रह जाती है अधूरी
समाजशास्त्री डॉ. सीएसएस ठाकुर कहते हैं कि कोशिश शब्द सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन यह लक्ष्य भेदने में शत-प्रतिशत लाभ नहीं दे पाता है। किसी कार्य को पूरा करने हम बार-बार कोशिश करते हैं, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाता है, लेकिन कोई व्यक्ति यदि उसी काम को पूरा करने का निश्चय कर लेता है तो वह हर हाल में सफल हो जाता है। इसलिए इंसान को पूर्ण सफलता पाने के लिए कोशिश करने की बजाय निश्चय करना चाहिए, ताकि सफल होने में किसी प्रकार की शंका ही न रह जाए।
निश्चय करने वालों पाई सफलता
इतिहासकार डॉ. आनंद राणा कहते हैं कि त्रेता, द्वापर युग की बात हो या फिर वर्तमान की। जिन लोगों ने भी जीवन में नए आयाम छुए, उन्होंने कोशिश की बजाय निश्चय करके मुकाम हासिल किए। त्रेता युग में भगवान राम यदि कोशिश करते तो समुद्र पार कर लंका नहीं पहुंचते, लेकिन उन्होंने वानर सेना के माध्यम से समुद्र पर पुल निर्माण करने का निश्चय किया और लंका तक पहुंचकर अपने मकसद को पूरा किया। इसी तरह मुगल अपने निश्चय के कारण ही भारत में अपनी सल्तनत स्थापित कर पाए। वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में भी ऐसा ही चल रहा है। कुछ छात्र अपने लक्ष्य को भेदने निश्चय करके तैयारी करते हैं, तो वहीं कुछ छात्र लक्ष्य को पाने कोशिश करते हैं। कई बार कोशिश कामयाब हो जाती है, लेकिन निश्चय के साथ काम करने वाला हमेशा सफल होता है।
संदेह के लिए नहीं रह जाती जगह
शिक्षक मुकेश तिवारी कहते हैं कि किसी लक्ष्य को पाने का निश्चय कर लेने से मन और मस्तिष्क उसी के अनुरूप काम करने लगता है, जिससे सफलता की सीढ़ी खुद बनने लगती है। जबकि कोशिश करने में हमें संदेह रहता है इसलिए कई बार कोशिश सफल हो जाती है और कई बार असफलता हाथ लगती है। वैज्ञानिक और शिक्षाविद् किसी कार्य को शुरू करते हैं तो उसे सफल करने का निश्चय करके तभी उसमें कुछ न कुछ जरूर मिलता है। यदि हमारे वैज्ञानिक कोशिश करते तो शायद हमें विज्ञान के नियम प्राप्त नहीं हो पाते। वैज्ञानिकों ने शुरू किए काम को पूर्ण करके ही दम लिया। यह उनके निश्चय का ही परिणाम था।
बच्चों की भी डालें आदत
उक्त कथनों से यह स्पष्ट है कि छात्र जीवन में कोशिश की बजाय हमें निश्चय करने की आदत डालनी चाहिए, ताकि हमें शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति हो सके। माता-पिता को भी चाहिए कि वह बच्चों को बचपन में ही कोशिश की बजाय निश्चय करने की आदत डाल दें, ताकि सफलता पाने उनके मन में शंका का भाव ही न रहे।