बैठक में विशेषज्ञों ने नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में औषधीय पौधों के प्रोत्साहन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नदियों के तट वाले क्षेत्र वन विभाग, राजस्व विभाग और निजी भूमि के रूप में हैं। तीनों क्षेत्रों में पौधरोपण की योजना बनाई जाएगी। इसमें वन विभाग की भागीदारी ज्यादा हो सकती है। पीसीसीएफ संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए शासकीय और निजी लोगों की भागीगारी से पौधे लगाए जाएंगे। प्रगतिशील किसान अम्बिका पटेल और व्यापारिक प्रतिनिधि प्रदीप दुबे ने भी अपने विचार रखे।
ये रहे मौजूद
बैठक में केंद्र संचालक डॉ. पीके शुक्ला, पीसीसीएफ गिरिधर राव, अपर संचालक ओपी तिवारी, नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड छत्तीसगढ़ के अजीत पांडेय, आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रविकांत श्रीवास्तव, प्रशासनिक अधिकारी बीपी बाथमा, उप-संचालक आलोक शर्मा, वैज्ञानिक वन अधिकारी और शोध छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
इन विषयों पर बनेगी कार्ययोजना
– संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहन
– नदियों के किनारे दोनों तरफ 200 मी. चौड़ी पटटी में औषधीय पौधाों का रोपण
– औषधीय पौधों की दुर्लभ, लुप्तप्राय और संकटापन्न प्रजातियों की वनों से निकासी पर नियंत्रण
– वन क्षेत्रों में औषधीय पादप संरक्षण और विकास क्षेत्रों की स्थापना
– वनों से प्राप्त औषधीय वन उत्पादों के परिवहन पर अनुज्ञा पत्र प्रदान करने में
– औषधीय पौध उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य का उचित निर्धारण
– हार्टीकल्चर विभाग द्वारा औषधीय पौधों की खेती पर दी जाने वाली सब्सिडी के बारे में