एक बार ही बना ग्रीन कॉरीडोर
वक्ताओं ने बताया कि चार साल पहले जबलपुर में केवल एक बार ही डिविजनल ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन कमेटी के सौजन्य से ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण हुआ था। जब एक मरीज के द्वारा दी गई किडनी, लीवर, हार्ट और नेत्रों का उपयोग किया गया था। नेत्रों का उपयोग दादा वीरेंद्र पुरी जी नेत्र संस्थान आई बैंक में किया गया था। जबकि हार्ट भोपाल चिरायु हॉस्पिटल में ग्रीन कॉरिडोर के जरिए जबलपुर से पहुंचाया गया था। वक्ताओं ने कहा कि अंगदान के पावन कार्य मे पूरे समाज के सभी बंधुओं को एक साथ आगे आने की आवश्यकता है।
विश्व में अंधत्व का 25 फीसदी भारत में है। यह वक्त है कि लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक किया जाए। इससे कई लोगों का रोशनी मिल सकती है।
डॉ. पवन स्थापक
वर्तमान परिस्थिति में जबलपुर में किडनी ट्रांसप्लांट पॉसिबल है और किडनी ट्रांसप्लांट के 95 फीसदी मामले सफल रहे है। लोगों मे जागरुकता आवश्यक है।
डॉ. राजेश पटेल
लिवर ट्रांसप्लांट जबलपुर में भी किया जा सकता है इसकी सफलता का प्रतिशत काफी अच्छा है।लोगों को आगे आना चाहिए।
डॉ. मनीष तिवारी
सम्भागीय ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन कमेटी को सक्रिय होने की आवश्यकता है। इससे और समाज में जागरुकता से ऑर्गन डोनेशन में कमी की खाई को पाटा जा सकता है।
डॉ. पीजी नाजपांडे