जीसीएफ में तैयार 38 किमी तक मार करने वाली इस तोप को डीजीक्यूए ने भी प्रमाणित कर दिया है। अब राष्ट्र को समर्पण करने की औपचारिकता के बाद सेना इसका इस्तेमाल कर सकेगी। रक्षा विभाग में तैयार किसी भी प्रोडक्ट को सेना के हवाले करने से पहले इन्सपेक्शन नोट (आइनोट) की प्रक्रिया पूरी की जाती है। जीसीएफ परिसर में बने धनुष इंटीग्रेटेड सेंटर में इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया।
जीसीएफ में यह पहला मौका था जब किसी उत्पादन को दिखाने के लिए मीडिया को सीधे प्रोडक्शन सेंटर में प्रवेश दिया गया। जीसीएफ को हाल में रक्षा मंत्रालय से 114 धनुष तोप का बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस मिला है। भविष्य में उसे 400 से अधिक धनुष तोप बनानी हैं। इस दौरान सेना की विभिन्न इकाइयों से जुड़े सैन्य अधिकारी मौजूद थे।