जीसीएफ ने बीते वित्तीय वर्ष में आठ तोप का उत्पादन किया। इसमें दो तोप शनिवार को सेना के सुपुर्द की गईं। इन्हें सीओडी भेज दिया गया। जीसीएफ के प्रभारी अधिकारी राजीव गुप्ता व तोप की उपयोगकर्ता सेना के अधिकारियों ने सुपुर्दगी से पहले दोनों तोप का ज्वाइंट रिसीव इन्सपेक्शन (जेआरआई) किया। इसमें तोप की बैरल और संचालन की गतिविधियां देखीं। मापदंड सम्बंधी दस्तावेजों की जांच के बाद इन तोप को सेँट्रल ऑर्डनेंस डिपो भेज दिया गया।
पांच तोप का परीक्षण
अब सेना उसे अपने तोपखाने में शामिल कर लेगी। इसके बाद इसकी तैनाती सीमाओं पर की जा सकेगी। जीसीएफ ने गत वर्ष आठ तोप के उत्पादन का लक्ष्य रखा था। इसमें तीन का परीक्षण जनवरी में किया गया था। फिर उन्हें सेना को सौंप दिया गया था। उसके बाद पांच तोप का परीक्षण मार्च में लॉन्ग प्रूफ रेंज खमरिया में किया गया। इसमें दो तोप की सुपुर्दगी की गई। तीन तोप जल्द ही सेना को सौंपी जाएंगी। हालांकि, इस वित्तीय वर्ष में 48 तोप का लक्ष्य रखा गया है। इसकी कीमत 22 से 23 करोड़ रुपए के बीच है।
40 किमी तक मारक क्षमता
38 से 40 किमी की दूरी तक गोला दागने वाली यह तोप सेना में विशेष स्थान बना चुकी है। यह बोफोर्स के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। 155 एमएम 45 कैलीबर की तोप विश्व के गिने-चुने देशों के पास है। इसका निर्माण स्वदेशी तरीके से किया गया है। 90 प्रतिशत से ज्यादा कलपुर्जे स्वदेशी लगे हैं। यह पूरी तरह आटोमैटिक है। नाइट विजन कैमरा से लेकर तमाम प्रकार की खूबियां इसके साथ जोड़ी गई हैं।
एलपीआर के कारण बढ़ी सम्भावनाएं
जीसीएफ को सेना के पास मौजूद बोफोर्स तोप को अपग्रेड कर धनुष तोप बनाना है। उसे कुल 114 तोप तैयार करना है। हर साल के लिए पहले लक्ष्य तय किया गया था। अब तक 30 से अधिक तोप की सप्लाई की जा चुकी है। इसका नियमित उत्पादन तीन साल से किया जा रहा है।