इससे पहले धनुष इंटीग्रेटेड सेंटर में दो धनुष तोप का ओएफबी सदस्य हरिमोहन, महाप्रबंधक रजनीश जौहरी और सेना के अधिकारियों ने पूजन पाठ किया। ओएफबी सदस्य ने बताया कि धनुष तोप कई मायनों में दुनिया की दूसरी तोप से अलग है। इसका पूरा फायर कंट्रोल सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक कर दिया गया है। इसका फायदा यह है कि तोप का मेंटीनेंस आसान हो गया है। गोला दागने की क्षमता भी बढ़ गई है। तोप से 30 सेकंड में 155 एमएम के तीन भारी गोला दागे जा सकते हैं। 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप में बैलेस्टिक कम्प्यूटर लगा है। इससे सटीक निशाना लगता है। उन्होंने बताया, तोप से फायरिंग करने पर गोला टारगेट पर गिरे, यह कई चीजों पर निर्भर करता है। तोप में लगा बैलेस्टिक कम्प्यूटर सभी कलपुर्जो की प्रक्रियाओं को एकत्रित कर गोले को सही जगह पहुंचाने में सहायता करता है। ओएफबी सदस्य ने बताया, यह बोफोर्स से एकदम अलग है। इसमें कई मॉडर्न फीचर लगे हैं। सीमा पर इसकी जल्द तैनाती होगी। एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।
बोर्ड सदस्य ने कहा, रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में जबलपुर बड़ी ताकत के रूप में उभरा है। यहां रक्षा उपकरणों से जुड़ा कॉफी नॉलेज है। एक से बढकऱ एक संस्थान और अधिकारी हैं। यह प्रोजेक्ट दस साल पहले शुरू हुआ था। सीओडी, 506 आर्मी बेस वर्कशॉप, आर्टीलरी और अन्य विभागों ने सहयोग किया। आज स्थिति यह है कि तोप सेना के सुपुर्दगी की स्थिति में आ गई है। बोर्ड सदस्य ने कहा, छह तोप तैयार हैं। 18 भी बना लेंगे। बड़ी चुनौती 114 तोपों के नियमित उत्पादन की है। इसलिए अभी से तैयारियां की जा रही हैं। कलपुर्जे मंगाए जा रहे हैं।