तोप की फायरिंग का मुआयना करने दिल्ली से जबलपुर आए डायरेक्टोरेट ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीक्यूए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल संजय चौहान नेे कहा कि रेंज की पूरी क्षमताओं का उपयोग इस काम के लिए किया गया। जबलपुर में तोप का निर्माण व टेस्टिंग होने से सेना को वक्त पर इनकी उपलब्धता हो सकेगी। एलपीआर में धनुष तोप के माध्यम से रेंज की क्षमताओं को परखा गया। दो कंपलीट तोप और दो बैरल का परीक्षण किय गया।
अब एमुनेशन के लिए भी बढ़ी संभावनाएं
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने इस मौके पर कहा कि यह परीक्षण तोप की क्षमताओं को बढ़ाने का प्रयास है। अभी एलपीआर में वेपंस का पू्रफ किया जा रहा है, जल्द ही एमुनेशन का फायर भी किया जाएगा। इसकी शुरूआत फ्यूज से की जाएगी। उन्होंने बताया कि डीजीक्यूए के पास इटारसी और जबलपुर ही खुद की रेंज हैं। तीसरा ओडिसा के बालासोर में है, लेकिन उसकी दूरी अधिक है। उनका कहना था कि रेंज को वल्र्ड क्लास बनाया जा रहा है। इसके जरिए इन हाउस प्रूफ की क्षमताएं बढ़ा रहे हैं। इसके जरिए मेक इन इंडिया की सोच को भी बढ़ाया जा रहा है।
दोनों तोप का शानदार प्रदर्शन
रक्षा मंत्रालय से आए महानिदेशक का कहना था कि शारंग और धनुष तोप का परीक्षण देखा। दोनों की टेस्टिंग सफल रही। बैरल के अलावा अलग-अलग कलपुर्जों की क्षमताओं को देखा गया। सभी बेहतर रहे। इसी प्रकार सभी को एकत्रित कर कंपलीट सिस्टम को देखा गया। इनकी पूरी क्षमताओं का विधि के अनुसार आंकलन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस काम में एसक्यूएई (ए) एंड एलपीआर खमरिया के कमांडेंट ब्रिगेडियर निश्चय राउत का बड़ा योगदान रहा। फायरिंग के दौरान सीक्यूएडब्ल्यू के कंट्रोलर ब्रिगेडियर आईएम सिंह, एसक्यूएई के डिप्टी कमांडेंट कर्नल एसआर बर्बे, क्यूएओ (पू्रफ) लेफ्टि. कर्नल गिरीश चौधरी, क्यूएओ (इक्यिुपमेंट) लेफ्टि. कर्नल सोमवीर, एलपीआर के प्रशासनिक प्रमुख किशोर कुमार योगी एवं एसक्यूएई एंड एलपीआर के प्रशासनिक अधिकारी डीडी मिश्रा, सैनिक और एलपीआर के कर्मचारी मौजूद रहे।
ड्रोन कैमरे से फायरिंग पर नजर
एलपीआर में हुई फायरिंग की पहली बार ड्रोन कैमरे से रिकॉर्डिंग की गई। ड्रोन में लगे उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे से गोला को लोड करने से लेकर ट्रिगर दबाने तक की गतिविधियों को कैद किया गया। इसी प्रकार डिजीटल कैमरे भी तोप के पास रखे गए जिससे कि तोप की सारी हलचल को रिकॉर्ड किया जा सके।
पहले शारंग, आखिर में धनुष से दनादन फायरिंग
एलपीआर में तोप की क्षमताओं के परीक्षण की शुरूआत 40 किमी की दूरी तक मार करने वाली 155 एमएम 45 कैलीबर
शारंग तोप से किया गया। खास आकर्षण धनुष तोप रही। क्योंकि इससे पहले इस तोप का परीक्षण राजस्थान के पोकरण, ओडिसा के बालासोर, इटारसी और लद्दाख में किया गया था। इसलिए एलपीआर के कर्मचारियों में भी इसकी टेस्टिंग को लेकर बेहद उत्साह था। इसी प्रकार अधिकारी भी इस पल को परीक्षा की घड़ी मान रहे थे। शुक्रवार सुबह करीब 10.30 बजे फायरिंग शुरू हुई। शारंग तोप की बैरल को पहले0 , 15, 45 और पुन: 0 डिग्री पर लाकर गोला दागा गया। एक के बाद एक चार राउंड फायर किए। इसके लिए उस पिट का इस्तेमाल किया गया जिसमें 21 जनवरी को गोला दागा गया थ। दूसरी तरफ कंपलीट धनुष तोप और शारंग तथा धनुष के बैरल के लिए अलग पिट का इस्तेमाल किया गया। दो बैरल और बीच में धनुष तोप रखा गया । इसके बाद शारंग के बैरल और 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप के बैरल से 8-8 राउंड दागे गए। आखिर में कंपलीट धनुष तोप से चार अलग-अलग डिग्री पर एक के बाद चार राउंड गोला दागा गया। इसकी गूंज न केवल आसपास बल्कि एलपीआर से 10 से 15 किमी की दूरी तक सुनाई दी।
खासियत
शारंग तोप
– 130 एमएम से 145 एमएम 45 कैलीबर से अपग्रेडेशन।
– 27 की जगह 40 किमी की दूरी तक दाग सकेगी गोला।
– पावर रैमर लगाा गया जिससे राउंड जल्दी लोड होता है।
– पहले राउंड मैनुअली लोड होता था अब ऑटोमैटिक हो गया है।
– बैरल ज्यादा लंबाई की लगी। रिक्वाइल सिस्टम में बदला।
धनुष तोप
– बोफोर्स का का अपग्रेडेशन वर्जन है धनुष तोप।
– 38 से 40 किमी तक निशाना साधने की क्षमता।
– ऑटोमैटिक तोप, कई आधुनिक उपकरणों से लैस।
– 4500 से ज्यादा राउंड टेस्टिंग के दौरान दागे गए।
– पहले 6 तोप सेना के सुपुर्द की जा चुकी हैं।