जबलपुरPublished: Sep 23, 2019 06:58:28 pm
shyam bihari
मध्यप्रदेश का चर्चित हनीट्रैप कांड : जबलपुर से फिलहाल जुड़ा नहीं है कोई नाम, फिर भी खूब हो रहीं चर्चाएं
Honey trap
जबलपुर। हनी ट्रैप। यह श्ब्द थोड़ा हटकर है। मुंह से निकलते ही चौंकाता है। अटै्रक्ट भी करता है। इसका सीधा मतलब निकालना सबके लिए आसान नहीं है। लेकिन, थोड़े से भी पढ़े-लिखे लोग इसका मतलब तुरंत समझ जाते हैं। खासकर, शहर में रहने वाले इसके भावार्थ से भी जुड़ जाते हैं। कुछ का चेहरा खिल जाता है। आंखें चमक उठती हैं। खासकर मध्यप्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक गलियारों में हनीट्रैप इन दिनों जंगल में आग की तरह फैल रहा है। तमाम बड़े नाम इसका जिक्र होते ही कांप उठते हैं। एक तरह का राजनीतिक भूचाल माना जा रहा है। जांच एजेसियों के मुताबिक तीन-चार युवतियों ने हनीट्रैप जैसे शब्द की चासनी में ऐसा कांड किया है कि पूरा मध्यप्रदेश हिल गया है। राजनीतिक रूप से खास मायने रखने वाला जबलपुर भी इससे अछूता नहीं है। हालांकि, अभी तक जबलपुर से कोई नाम इस कांड से जुड़ा सामने नहीं आया है। लेकिन, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, छतपरपुर की सरगर्म हवाएं यहां भी पहुंच रही हैं। बड़े नेताओं के बयान आने लगे, तो जबलपुर शहर के छोटे नेताओं में गुत्मगुत्था शुरू हो गई है।
खुलकर बोलने से बच रहे हैं
हनीट्रैप कांड का केंद्र फिलहाल भोपाल, इंदौर, छतरपुर, ग्वालियर को माना जा रहा है। इसलिए चर्चाएं भी इन्हीं शहरों की हैं। लेकिन, जबलपुर में भी कद्दावर नेता हैं। इसलिए यहां भी सुगबुगाहट होनी ही है। अच्छी बात यही है कि दोनों प्रमुख दलों के नेताओं के नाम यहां से इसमें शामिल नहीं हैं। इसलिए दोनों पक्षों के नेता अभी आंख चुराने पर मजबूर नहीं हो रहे हैं। बड़े नेताओं ने अभी पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है। छुटभैये नेताओं ने गली-नुक्कड़, नर्मदा के तटों पर मोर्चा सम्भाल रखा है। यहां सब एक दूसरे पर कटाक्ष कर रहे हैं। फिलहाल हर कोई कह रहा है कि उसके बड़े नेता इस तरह का काम नहीं करेंगे। लेकिन, डर रहे हैं कि किसी करीबी अफसर का नाम न आ जाए। अफसरों का क्या? वे तो जिसकी सरकार उसके दल की ओर झुक जाते हैं। इसलिए दोनों पक्ष इस कोशिश में हैं कि अभी बोलो कम। हालातों पर नजर ज्यादा रखो। वहीं, अफसरों में जरूर हड़कम्प है। क्योंकि, नई सरकार बनने के बाद तबादले खूब हुए थे। ऐसे में कहीं कोई अफसर राजधानी में जाकर हनीट्रैप का शिकार हो गया, तो उसकी आंच जबलपुर तक भी आ ही जाएगी। इसलिए अक्सर अफसरों से करीबी दिखाने वाले छोटे नेता, इनदिनों नर्मदा तटों पर ज्यादा समय खर्च कर रहे हैं।