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जबलपुर

समर सीजन में ऐसे करें अपने डॉग की केयर, अपनाएं ये टिप्स

डॉग रेस्क्यू डे आज : पॉजिटिव एटीट्यूड से डॉग देंगे पॉजिटिव रिजल्ट, आप भी करें एफर्ट

जबलपुरMay 19, 2019 / 10:52 pm

abhishek dixit

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जबलपुर. सड़क पर चलते समय आपको डॉग्स घेर लें या आक्रामक होकर अटैक करता है तो आपके मन में भी उनके प्रति निगेटिव इमेज बन जाती है। ऐसे लोग डॉग्स के प्रति पॉजिटिव एटीट्यूड नहीं रखते। यही कारण है कि डॉग्स से भी हमें पॉजीटिव रिजल्ट नहीं मिलता। डॉग्स के साथ यदि अच्छा व्यवहार किया जाए तो आक्रामक डॉग्स की संख्या काफी हद तक कम हो सकती है। वन्य प्राणियों से प्रेम करने वाले सिटी के कई यूथ डॉग्स का रेस्क्यू और ट्रीटमेंट आदि के लिए लोगों से मिलकर कांट्रीब्यूशन भी कर रहे हैँ। वन्य प्राणी विशेषज्ञओं के अनुसार, सरकारी संस्थाओं की लापरवाही से डॉग्स की आबादी तेजी से बढ़ रही है। उनकी आबादी को कंट्रोल करने के साथ टीके लगाने की आवश्यकता है। वेटरनरी डॉ. शिवम जार ने बताया, डॉग्स को भगाने के लिए दुकान वाले उन पर गरम पानी डाल देते हैं या फिर मारते हैं। इससे उनका व्यवहार आक्रामक हो जाता है। डॉ. जार के अनुसार यदि आप डॉग्स से प्यार करते हैं तो वे भी आपसे प्यार करेंगे।

ट्रेन से कटे डॉग कीचार बार कराई सर्जरी
मार्च में रांझी में एक डॉग ट्रेन की चपेट में आ गया था। उसका एक पैर, एक आंख और पूछ का हिस्सा बुरी तरह जख्मी हो गया था। हिल संस्था के रिटायर आर्मी ऑफीसर महावीर सिंह और प्रशांत सेन की टीम ने डॉग का इलाज कर उसकी जान बचाई। डॉ. शिवम जार ने डॉग की चार बार मुफ्त सर्जरी की। डॉग का एक पैर काटना पड़ा। एक आंख भी निकाली गई। अब डॉग जिंदा है। संस्था के लोगों ने मेडिसिन के लिए नो हजार रुपए का सहयोग किया।

बीमार जर्मन शेफर्ड को बचाया
वेटरनरी कॉलेज के स्टूडेंट संदीप तिवारी ने बताया, जब वे ओडिशा में थे, तब एक भालू का शावक घर में घुस गया। वह रात भर कमरे में इंसान के बच्चे के साथ था लेकिन उस पर हमला नहीं किया। सुबह लोगों ने भालू शावक को मार डाला। इस घटना के बाद से संदीप को जहां कहीं भी डॉग या वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू का मौका मिलता है, वे सहयोग करते हैं। संदीप ने बताया, दो साल पहले कार से आए कुछ लोग वेटरनरी हॉस्पिटल के बाहर जर्मन शेफर्ड डॉग को छोड़ गए। उसकी बॉडी में मैगेट थे। उन्होंने डॉग का ट्रीटमेंट किया।

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