पार्षदों की चुनाव खर्च सीमा तय, राज्य सरकार को करना है कार्रवाई
हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग ने पेश किया जवाब
जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व आदेश-निर्देश के पालन में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जवाब पेश किया गया। जवाब में आयोग ने कहा कि पार्षदों के चुनाव खर्च की सीमा तय कर दी है। अब इसका क्रियान्वयन राज्य सरकार को करना है। हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कहा कि नगरीय निकाय चुनाव में 2011 की जनगणना के अनुसार नगरपालिक निगम में 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले निर्वाचन क्षेत्रों में पार्षद पद के प्रत्याशी 8.75 लाख से अधिक खर्च नहीं कर सकेंगे। 10 लाख से कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में व्यय की सीमा 3.75 रखी गई है। इसी तरह नगर पालिका परिषद अंतर्गत 1 लाख से अधिक जनसंख्या पर 2.5 लाख व 50 हजार से कम जनसंख्या पर 1 लाख चुनाव खर्च की सीमारेखा का पालन करना होगा। नगर परिषद में चुनाव खर्च की सीमा 75 हजार रखी गई है।
पार्षद शब्द जोडऩे की कार्रवाई भी की जाए
राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता सेठ ने यह भी साफ किया कि 1 जुलाई को राज्य शासन को भेजे गए एक अन्य पत्र में नगर पालिक निगम अधिनियम व नगर पालिका अधिनियम में पार्षद शब्द जोड़े जाने संबंधी संशोधन भी प्रस्तावित किया गया है। इस पर राज्य को कार्रवाई करनी है।
यह है मामला
जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव ने जनहित याचिका दायर कर पार्षदों के चुनाव खर्च की सीमा तय करने पर बल दिया था।
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