तीन बजे तक घरवालों के साथ मिठाई बनवाता रहा
शुक्रवार रात तीन बजे तक नितिन के परिजन और रिश्तेदार नमकीन-मिठाइयां बनाने में व्यस्त रहे। नितिन भी उनके साथ मौजूद था। इसके बाद वह छत पर बने कमरे में सोने चला गया। शनिवार सुबह सात बजे तक नितिन नहीं जागा तो बुआ उसे उठाने के लिए छत पर गई। कई बार आवाज देने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला।
खिडक़ी से झांक कर देखा तो सन्न रह गईं
उसने कमरे की खिडक़ी से झांक कर देखा तो नितिन पंखे पर साड़ी के फंदे से लटका हुआ था। बुआ की चीख सुनकर परिवार के अन्य लोग कमरे में पहुंचे। दरवाजा तोडक़र वे कमरे में पहुंचे, तब तक काफी देर हो चुकी थी।
जहां हुआ हल्दी कार्यक्रम, वहीं से निकली अर्थी
बेटे नितिन की लाश से लिपट कर मां सीमा को विलाप करते देख सभी की आंखें नम हो गईं। जिस घर में शुक्रवार को मंडप लगा था, बेटे का हल्दी कार्यक्रम हुआ था, उसी आंगन से शनिवार को उसकी अर्थी निकली। पिता बसंत प्रसाद, नितिन के भाइयों और परिजन का बुरा हाल था।