जानकारी के मुताबिक वन अधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार गुप्ता ने 19 लोगों के साथ मिल कर लकडि़यों की नीलामी प्रक्रिया में घोटाला किया जिसके चलते प्रदेश सरकार को लाखों रुपये का चूना लगा। इस संबंध में ईओडब्ल्यू एसपी देवेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि मंडला में बतौर वन मंडल अधिकारी रहे गुप्ता ने अपने कार्यकाल में लकडि़यों की नीलामी के आदेश जारी किए थे। उस नीलामी प्रक्रिया में कुल 43 संदिग्ध बिड में से 30 बिड शीट में डा. गुप्ता ने जानबूझकर बिड शीट और ईएमडी पंजी में ओवरराईटिंग कर नीलामी में प्राप्त वास्तविक बोली से कम राशि अंकित की थी। इससे ठेकेदारों को फायदा हुआ और शासन को करीब 13 लाख 80 हजार 100 रुपये की क्षति हुई। इसका पता लगने पर शासन ने डॉ. गुप्ता के कार्यकाल में हुई समस्त नीलामी प्रक्रिया की जांच के लिए समिति का गठित की थी। ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने आशंका जताई है कि भ्रष्टाचार का मामला करोड़ों में पहुंच सकता है। ऐसे में नीलामी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार करने वाले वन मंडल मंडला के अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।
बताया जाता है कि मंडला (उत्पादन) वन मंडल के अंतर्गत कालपी डिपो में नीलामी की प्रकिया में गंभीर अनियमितताएं प्रकाश में आई थीं, जिसके लिए प्रथम दृष्ट्या गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया गया था। उसी वक्त इस वित्तीय अनियमितता को गंभीर मानते हुए अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 के नियम-3 मे निहित प्रावधान के तहत उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख कार्यालय भोपाल से संबद्ध कर दिया गया था।
अब ईओडब्ल्यू ने इन सभी पर दर्ज की है एफआईआर डा. शैलेंद्र गुप्ता, (तत्कालीन वन मंडल अधिकारी मंडला), इंद्रभान गुप्ता, (ईएमडी कालपी व रसईयादौन), रंगी लाल परते, ईएमडी अधिकारी (गाड़ासरई करंजिया), कृष्ण कुमार गुप्ता, सागर, ऋषि टिम्बर, जबलपुर, राजस्थान टिम्बर, गोंदिया, नवीन कुमार गुप्ता, सागर, मनमोहन सौ मिल, सागर, एनसी शाह, गोंदिया, संतोष टिम्बर, अम्बिकापुर, मां नर्मदा ट्रेडर्स, डिंडौरी, परमार कंस्ट्रक्शन, डिंडौरी, शहजादा टिम्बर ट्रेडर्स, जसपुर, रामवली फर्नीचर मार्ट, सतना, तौशीफ हसन, जसपुर, गोयल टिम्बर स्टोर्स, सतना, इलाही टिम्बर, जसपुर, रियाजुद्दीन टिम्बर, जसपुर औ ईरम एंड कंपनी, जसपुर।