जबलपुर में फिलहाल इस बार कहीं नहीं हो रही इवीएम में कमियों पर चर्चा
जबलपुर•Mar 30, 2019 / 08:36 pm•
shyam bihari
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जबलपुर। इस समय जबलपुर शहर में भी सेक्टर अधिकारियों को निर्वाचन कार्य के इवीएम, वीवीपैट मशीन तैयार करने की बारीकियां सिखाई जा रही हैं। मास्टर ट्रेनर्स इस कार्य में जीजान से लगे हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी प्रशिक्षण स्थल पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। उन्होंने साफ किया है कि चुनाव प्रक्रिया में सेक्टर अधिकारी सबसे महत्वपूर्ण होते है। इसलिए उन्हें बेहद सजग रहने रहने की दरकार होगी। चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली इवीएम और वीवीपैट मशीनों को सुरक्षित रखने के लिए बने स्ट्रॉन्ग रूम को सीसीटीवी कैमरों की जद में रखा गया है। इन सबके बीच इस बार इवीएम को लेकर होहल्ला फिलहाल शुरू नहीं हुआ है। इसके पहले के चुनावों में इवीएम को कुछ लोग जरूरी, तो कुछ लोग बेवफा कहते हुए हंगामा करते थे। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान तो इवीएम को लेकर विपक्षी दल ने पूरा माहौल तैयार किया था। पक्ष वाले कहते थे कि हारने के बाद इवीएम का रोना आदत बन गई है। वहीं, विपक्ष का कहना होता था कि इवीएम से छेड़छाड़ की जाती है। लेकिन, सरकार बदलते ही इवीएम पुराण जाने कहां चला गया है। अब एक भी नेता इस बारे में बयान नहीं दे रहा है।
जनता तो इवीएम के साथ है
नेताओं में भले ही इवीएम को लेकर अलग-अलग चर्चाएं हैं। पक्ष-विपक्ष भी हैं। कुछ इसे वर्तमान भारत की ताकत मानते हैं। कुछ लोग जरूरत बताते हैं। कुछ लोकतंत्र के लिए गलत भी मानते हैं। लेकिन, शहर की आम जनता इवीएम के पक्ष में ही खड़ी दिखती है। आम मतदाता यही मानता है कि वोटों की गिनती के मामले में इवीएम क्रांतिकारी कदम है। अब इस मामले में और आगे की तकनीक अपनाने की जगह 10 साल पीछे जाना मूर्खतापूण कदम होगा। लोगों का मानना है कि इवीएम में कुछ तकनीकी खामियां हैं, तो उन्हें दूर करने पर जोर देना चाहिए। पूरी मशीनरी को ही खारिज कर देना सही नहीं है। पक्ष-विपक्ष को एक साथ बैठकर इस पर मंथर करना चाहिए। प्रशासन को भी चाहिए कि वह सभी पक्षों को विश्वास में ले। भरोसा कायम करे कि चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष ही रहेगी।
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