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जबलपुर

आईआईटी मुम्बई की नई टेक्निक से मिलेंगे चिरौंजी के अच्छे दाम

राज्य वन अनुसंधान संस्थान में 25 फरवरी को आएगी वैज्ञानिकों की टीम : दो क्षेत्रों में लगेगी मशीन

जबलपुरFeb 16, 2020 / 12:54 pm

shivmangal singh

जबलपुर. मप्र के वनों व कृषि क्षेत्रों में चिरौंजी का संग्रहण करने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। आईआईटी मुम्बई के रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप ने ऐसी टेक्निक विकसित की है, जिसकी मदद से चिरौंजी के बीज अधिक मिलेंगे, दाम भी अच्छा मिल सकेगा। राज्य वन अनुसंधान संस्थान में 25 फरवरी को वैज्ञानिकों की टीम आएगी। अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों के विचार विमर्श के बाद इस टेक्निक वाली मशीन को मप्र के आदिवासी बाहुल्य दो क्षेत्रों में नि:शुल्क लगाया जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार मप्र एवं छत्तीसगढ़ के वनों में चिरौंजी के पेड़ों की संख्या अधिक है। देश में कुल चिरौंजी उत्पादन में दोनों राज्यों का योगदान 20 प्रतिशत से अधिक है।
दाने टूटने से कम दाम
चिरौंजी संग्रहण के वाले लोग गुठलियों को सुखाने के बाद देसी तरीके से तोड़ते हैं तो दाने टूट जाते हैं।
विक्रय योग्य दाना कम निकलता है, दाम भी कम मिलता है। आईआईटी मुम्बई की प्रोजेक्ट मैनेजर डॉ. रूपाली खानोल्कर के अनुसार प्रो. अमित अरोरा एवं प्रो. उपेंद्र भांदरकर ने टेक्निक विकसित की है। मशीन से एक घंटे में 30 किग्रा चिरौंजी की प्रोसेसिंग की जा सकती है। मशीन की कीमत 80 हजार रुपए है। नेशनल बैकवर्ड क्लासेस फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के सीएसआर फंड से दो मशीनें मप्र में लगाई जाएंगी।
पानी में तैरने लगता है बीज
राज्य वन अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. अर्चना शर्मा के अनुसार बाजार में चिरौंजी की कीमत 13-15 सौ रुपए किग्रा है, लेकिन संग्रहणकर्ताओं को बहुत कम दाम मिल पाता है। व्यापारी कुछ दानों को पानी में डालते हैं। जितना दाना तैरने लगता है, उसे कच्चा होने के कारण उसी प्रतिशत में रकम काट लेते हैं। नई टेक्निक से चिरौंजी के दानों के प्रतिशत बढऩे की सम्भावना है।
चिरौंजी का उत्पादन
मप्र में 800 से 1500 क्विंटल चिरौंजी का उत्पादन प्रति वर्ष।
एक पेड़ से 40-50 क्रिग्र्रा फल निकलता है, सूखने पर 8-10 किग्रा होता है।
फल पकने पर तोड़ा गया है तो एक किग्रा फल में 200 से 225 ग्राम दाना प्राप्त होता है
कच्चे फल तोड़े गए हैं तो एक किग्रा फल में 125 से 150 ग्राम दाना प्राप्त होता है
मप्र के कई जिलों में चिरौंजी का संग्रहण किया जाता है। आईआईटी मुम्बई की टेक्निक और संग्रहणकर्ताओं के प्रशिक्षण से चिरौंजी को और लाभकारी बनाने के लिए कार्य किया जाएगा। चिरौंजी के पौधरोपण से भी किसान उन्नति कर सकते हैं।
गिरिधर राव, पीसीसीएफ, डायरेक्टर, राज्य वन अनुसंधान संस्थान

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