गढ़चपा के राकेश हल्दकार ने एक एकड़ जमीन खरीदी। जमीन ही हद (सीमा) में मेढ़ बंधान कराना था। खेत का सीमांकन कराने आवेदन किया। राकेश कहता है हर हफ्ते आदेश लेकर पटवारी को ढूंढ़ता हूं, लेकिन पटवारी दो-तीन दिन में सीमांकन कर दूंगा कहकर यहां से वहां घुमा रहा है।
बम्होर के किसान बद्री विशाल का हाल भी कुछ ऐसा ही है। वे कहते हैं जमीन का सीमांकन कराना किसी जंग जीतने से कम नहीं है। तहसीली में आवेदन किया था। रोज २० किमी से वहां पहुंचता हूं। पता चलता है पटवारी किसी काम से गया है। समय खराब होता है और पैसा भी। आखिर किसान करंे तो क्या करे।
सिहोरा और मझौली तहसील में चार सर्किलें आती हैं। सिहोरा तहसील में मझगवां और खितौला। मझौली में पौड़ा और मझौली सर्किल। सीमांकन का काम पहले जरीब (लोहे की जंजीर) से किया जाता है, लेकिन अब उसकी जगह टोटल सर्वे मशीन ने ले ली है। चार सर्किलों में सीमांकन कराने सिर्फ एक टोटल सर्वे मशीन है। ऐसे में खेती के जमीनों के सीमांकन का काम प्रभावित हो रहा है।
तहसील-सिहोरा, मझौली
सर्किल-मझगवां, खितौला, मझौली पौड़ा, मझौली
गांव-160
आवेदन-80
अमला-सिहोरा, मझौली
आरआई सिहोरा-02
आरआई मझौली-02
पटवारी सिहोरा-11
पटवारी मझौली-16
हल्के सिहोरा-61
हल्के मझौली-84 अमले की कमी है
सिहोरा एसडीएम उमा माहेश्वरी के अनुसार सिहोरा और मझौली तहसील में सीमांकन के लिए जितने भी आवेदन आए हैं, संबंधित तिथि पर पटवारी जमीन का सीमांकन कर रहे हैं। अमले की कमी के कारण कुछ दिक्कतें आ रही हैं।