चैत्र अमावस्या : यह नव संवत्सर की पहली अमावस्या होती है। इसलिए इसे पितृ कर्म के लिए शुभ-फलदायी माना जाता है। पितरों की शांति के लिए इस दिन तर्पण करना चाहिए। इस वर्ष 12 अप्रैल को चैत्र अमावस्या होगी।
गुड़ी पड़वा (हिंदू नववर्ष) : चैत्र मास शुभ मास माना जाता है। इसी से हिंदू नव वर्ष या संवत्सर की शुरुआत होती है। मान्यता है कि इस दिन की शुरुआत सूर्य देवता को अघ्र्य देकर सूर्यपूजा से करनी चाहिए। धार्मिक स्थलों पर स्नान दान करना चाहिए। इस बार गुड़ी पड़वा 13 अप्रैल को मनाई जानी है।
चैत्र नवरात्र : चैत्र मास का विशेष आकर्षण होते हैं मां की उपासना के नौ दिन। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माता के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। 13 अप्रैल को इस शुभ पर्व की शुरुआत होगी।
राम नवमी : चैत्र शुक्ल नवमी को प्रभु श्रीराम की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि रामलला का जन्म इसी दिन हुआ था। इसलिए यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस बार राम नवमी 21 अप्रैल को पड़ रही है।
कामदा एकादशी : चैत्र शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि यानि विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। 23 अप्रैल 2021 को कामदा एकादशी मनाई जाएगी।
चैत्र पूर्णिमा : चैत्र पूर्णिमा नव संवत्सर की पहली पूर्णमासी होती है। इसलिए यह पूर्णिमा उपवास दान-पुण्य आदि धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ होती है। चैत्र पूर्णिमा इस बार 27 अप्रैल 2021 को पड़ रही है।
हनुमान जयंती: इस दिन बाल मारूति का जन्म देवी अंजना व केसरी के घर हुआ था, यह दिन चैत्र माह के पूर्णिमा के दिन पड़ता है। इस बार यह दिन 27 अप्रैल को पड़ रहा है। हनुमान जयंती पर शहर में धार्मिक आयोजन होते हैं।
चैत्र माह का महत्व:
पंडित जनार्दन शुक्ला ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरम्भ की थी। सतयुग की शुरुआत भी चैत्र माह से मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दशावतार से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए एवं जल प्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पंहुचाया था। उनसे प्रलय के पश्चात नई सृष्टि का आरम्भ हुआ।