मोनू सोनकर हत्या या अन्य गम्भीर वारदात के बाद कभी फरार नहीं हुआ। हर बार वह आसानी से पुलिस की गिरफ्त में आ जाता है। नागा संत हरिओम दादा की की हत्या के बाद वह खुद ही थाने पहुंच गया था। हरिओम दादा को वह गुरु मानता था, लेकिन बीमार होने के बाद जादू-टोना के संदेह में उनकी गोली मारने के बाद धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी थी।
इस बार 20 मिनट के अंदर गिरफ्तार
पूर्व पार्षद सोनकर की हत्या की वारदात के बाद भी मोनू फरार नहीं हुआ। वह हत्या के बाद पानी टंकी स्थित अपने घर भाग गया था। वहां बेलबाग थाने की पेट्रोलिंग टीम ने उसे दबोच लिया। उसने कुल आठ राउंड फायरिंग करना पुलिस के सामने स्वीकारा। मोनू सोनकर अवैध रूप से शराब बेचता था। कुछ सफेदपोश और खाकी वालों के संरक्षण पाकर वह बाद में जुआ फड़ संचालित करने लगा। जुआ फंड़ के वर्चस्व और 2008 में जमीन सम्बंधी प्रकरण को लेकर धर्मेंद्र व गज्जू सोनकर से उसकी रंजिश शुरू हुई। वह कई दिनों से धर्मेंद्र की हत्या की फिराक में था।
घर से लेकर अस्पताल और पीएम हाउस पुलिस छावनी में तब्दील
पूर्व पार्षद धर्मेंद्र सोनकर की हत्या के बाद जहां पुल नम्बर एक स्थित निजी अस्पताल में भारी पुलिस बल लगाना पड़ा। मेडिकल के मरचुरी में पीएम के दौरान अधारताल, केंट सीएसपी के साथ गढ़ा, माढ़ोताल, संजीवनी नगर व तिलवारा थाने का बल लगाना पड़ा। इसी तरह भानतलैया क्षेत्र को भी पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। एसपी से लेकर एएसपी अमित कुमार, अगम जैन, डॉ. संजीव उईके और क्राइम ब्रांच के एएसपी रायसिंह नरवरिया भी मोर्चा सम्भाले हुए हैं। हत्या की खबर पाकर बड़ी संख्या में समर्थकों का घर से लेकर पीएम हाउस तक जमावड़ा लगा रहा। इस दौरान लोगों ने कोरोना को लेकर जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग का भी खयाल नहीं रखा।
पत्नी व बेटों का रो-रो कर बुरा हाल
राजकुमार उर्फ बाबूनाटी सोनकर के दो औलादों में धर्मेंद्र सोनकर बड़ा था। छोटा गज्जू सोनकर भी कांग्रेस की राजनीति करते हैं और प्रदेश संगठन में सचिव रह चुके हैं। धर्मेंद्र की हत्या के बाद से पत्नी रीना और दोनों बेटों केशू (17) और अक्षय (11) का रो-रो कर बुरा हाल है।